उत्तर प्रदेश की जनजातियां (Tribes of uttar pradesh)
2003 में सूचीबद्ध की गई जनजातियां
(1) गोंड, राजगोंड, पठारी, धुरिया, नायक या ओझा मिलते है
(2) खरवार/खैरवार मिलते है
(3) सहरिया मिलते है
(4) परहिया मिलते है
(5) बैगा मिलते है
(6) पंखा, पनिका मिलते है
(7) अगरिया मिलते है।
(8) पथारी मिलते है
(9) चेरो मिलते है
(10) भुइया, भुनिया मिलते हैं
प्रमुख जनजातियों का सामाजिक/सांस्कृतिक
परिचय
अपने को किरातवंशीय कहने वाले थारू 5 जिलों में निवास करते
हैं:
• थारु समाज के लोग मानते हैं
थारू लोगों की अर्थव्यवस्था है
थारु लोगों का मुख्य खाद्यान्न
बजहर है थारू लोगों का एक
पहले थारू समाज में पाया जाता था
थारू लोगों में विवाह बिचौलियों के
माध्यम से तय होता है और विवाह रस्म का सम्पादन कराया जाता है थारू लोगों में दहेज
प्रथा का प्रचलन
बड़वायक, बंट्ठा, रावत, वृत्तियां, महतों व डहैत आदि
थारू लोगों के हैं बुक्सा या बुक्सा जनजाति के लोग निवास करते हैं
बुक्सा लोगों का सम्बंध माना जाता है
हिन्दी भाषी बुक्सा हिन्दू धर्म मानते
हैं। इनकी सबसे पूज्य देवी हैं
बुक्सा में हिन्दुओं के समान मिलता है
सूर्यवंशी, पटबन्दी, दौलदबन्दी, खेरी, राउत, मॉगती, मोझयाली, उपजातियां हैं
खरवार हिन्दू धर्म मानते हैं। इनका
प्रमुख नृत्य है
प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की संख्या बहुत कम है।
2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में अनुसूचित
जनजातियों की कुल जनसंख्या 1134273 (0.6%) हैं। राज्य के सोनभद्र जिले में
अनुसूचित जनजातियों की संख्या (3,85,018) सबसे अधिक उसके बाद बलिया में और सबसे कम बागपत में है।
राज्य में निवास करने वाली अनुसूचित
जनजातियों में थारू, बुक्सा, खरवार, सहरिया आदि मुख्य
हैं।
प्रदेश में 2003 से पूर्व केवल थारू
और बुक्सा को ही अनुसूचित जनजाति के श्रेणी में
सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन 2003 में केन्द्र सरकार ने
प्रदेश के दस (1. गोंड, धुरिया, नायक, ओझा, पठारी व राज गोंड 2. खरवार खैरवार 3. सहरिया 4. परहिया 5. बैगा 6. पंखा, पनिका 7. अगरिया 8. पठारी 9. चेरो 10. भुड़िया, भुनिया) और जनजातियों
को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में सूचीबद्ध किया।
इस प्रकार प्रदेश में सूचीबद्ध
जनजातियों की संख्या 12 हो गयी है। प्रमुख जनजातियों का
सामाजिक/सांस्कृतिक परिचय इस प्रकार है
थारू
थारू जनजाति के लोग प्रदेश के तराई
क्षेत्र के महराजगंज, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, बहराइच व लखीमपुर जिलों के उत्तरी भागों में निवास करते है। ये किरात वंश के हैं तथा कई उपजातियों में विभाजित हैं। थारू नाम की उत्पत्ति के
विषय में कुछ विद्वानों का कहना है कि ये लोग राजपूताना के 'थार' मरुस्थल से आकर यहाँ
बसे है। अतः थारू कहलाते हैं।
• थारू लोग कद में छोटे, चौड़ी मुखाकृति और पीले रंग के होते हैं। पुरूषों से स्त्रियाँ कहीं अधिक आकर्षक और सुन्दर होती
हैं।
• पारम्परिक थारू पुरुष धोती पहनते हैं और
बड़ी चोटी रखते हैं, जो हिंदुत्व का
प्रतीक है। इनका मुख्य खाद्यान्न भोजन चावल है।
इसके अलावा ये दाल, रोटी, दूध, दही तथा मछली-मांस भी
खाते हैं।
थारू जनजाति में पहले संयुक्त व
मातृसत्तात्मक परिवार प्रथा पायी जाती थी लेकिन अब
इसमें काफी बदलाव हो रहा है।
थारू समाज में विवाह प्रायः बिना दहेज के होता है।
विवाह का खर्च प्रायः दोनों पक्ष मिलकर
उठाते हैं।
इनमें विवाह रस्म का सम्पादन भर्रा
(पुरोहित) द्वारा कराया जाता है। विवाह के अवसर पर विशेष भोज का प्रचलन है। ये लोग हिन्दू धर्म को मानते हैं। इनके
अनेक देवी-देवता होते हैं। ये भूत-प्रेत तथा जादू टोना आदि में भी विश्वास करते
हैं।
ये लोग हिन्दुओं के सभी त्यौहार मनाते हैं। होली के दिनों में ये खूब उल्लास मनाते हैं। यह
पर्व फाल्गुन पूर्णिमा से कई दिनों तक
लगातार मनाया जाता है। लोग इनकी
अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है। ये मुख्यतः धान की खेती करते हैं, इसके अतिरिक्त दाले, तिलहन, गेहूँ तथा सब्जी की
भी खेती करते हैं।
उनका मुख्य व्यवसाय पशुपालन, लकड़ी कटाई, शिकार, वन्य भूमियों से
लकड़ी, जड़ी बूटी, फल-फूल एकत्र करना आदि हैं।
लखीमपुर जनपद में एक महाविद्यालय थारू
जनजाति के लड़के-लड़कियों को शिक्षा प्रदान करने
हेतु स्थापित किया गया है। जहाँ पर बड़ी संख्या में ये शिक्षा प्राप्त कर रहे है
और उच्च सरकारी पदों पर कार्य कर रहे हैं।
बुक्सा
भोक्सा या बुक्सा जनजाति प्रदेश के बिजनौर जिले में छोटी-छोटी
ग्रामीण बस्तियों में निवास करती है। अधिकांश लोगों का मत है कि बुक्सा जनजाति
पतवार राजपूत घरानों से सम्बन्ध रखती है।
कुछ विद्वानों ने इन्हें मराठों द्वारा भगाये जाने के बाद यहाँ आकर बसा माना है।
बुक्सा पुरूष लोगों का कद और आँखे छोटी होती
हैं। उनकी पलकें भारी, चेहरा चौड़ा एवं नाक
चपटी होती है। इनका मुख्य भोजन मछली व चावल है। इसके अतिरिक्त ये लोग मक्का व गेहूँ की रोटी और दूध
दही का प्रयोग करते हैं।
इनके अधिकांश पुरुषों में मद्यपान की आदत होती है। इन लोगों में बन्दर, गाय और मोर का माँस
खाना वर्जित होता है। इसमें भी सामाजिक स्तरीकरण पाया जाता है। बुक्सा ब्राह्मण समाज में सबसे ऊंचा स्थान रखते हैं, उसके बाद क्रमशः
क्षत्रीय बुक्सा, अहीर बुक्सा, नाई बुक्सा आदि होते
हैं। गोत्र ( गोत्र) व इनके समाज की मूल इकाई है। सभी भेदों के बाद भी ये गांव में एक साथ मिलकर रहते हैं।
• इनके विवाह एक अनुबन्ध मात्र
होता है जो पति-पत्नी में से कोई भी किसी समय भंग कर
सकता है। इनके परिवार का
स्वरूप हिन्दू समाज के समान है। अधिकांश संयुक्त तथा विस्तृत
परिवार है। साथ ही केन्द्रीय परिवार भी हैं अब
धीरे-धीरे उनकी संख्या में वृद्धि हो रही है।
ये लोग महादेव, दुर्गा ,लक्ष्मी, राम, कृष्ण की पूजा करते
हैं। काशीपुर की चामुण्डा देवी सबसे बड़ी देवी मानी जाती है। इनके व्रत व त्यौहार
हिन्दुओं के समान ही होते हैं।
उनकी बिरादरी पंचायत प्रमुख राजनीतिक
संगठन है जो समाज में न्याय एवं शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए उत्तरदायी है।
बिरादरी पंचायत चार स्तरों में बँटी है जिनके सर्वोच्च अधिकारी तखत, मुंसिफ, दरोगा और सिपाही नाम
से जाने जाते हैं। गाँव की पंचायत में तीन स्तर होते हैं।
सरपंच, ग्राम पंचायत का
सभापति और मुखिया। कृषि के अतिरिक्त बुक्सा जनजाति के लोग गाय, भैंस, बकरी पालते हैं
खरवार/खैरवार
प्रदेश के मिर्जापुर, सोनभद्र, देवरिया, बलिया व गाजीपुर जिलों में खरवार जनजाति के लोग निवास करते है। ये अपने को रोहतास से
आया हुआ और सूर्यवंशी मानते हैं। उनकी पारंपरिक आर्थिक गतिविधियों में कृषि, पशुपालन, शिकार आदि शामिल है।
कुछ इतिहासकार कहते हैं कि खरवार कत्थे का व्यापार करते थे।
इनकी उपजातियों में सूरजवंशी, पटबन्दी, दौलतबन्दी, खेरी, राउत, मौगती, मोझयाली, गो उर्मिला आदि हैं।
ये शरीर से बलिष्ठ व बहादुर होते हैं। इनकी वाणी में कर्कशता अधिक देखी जाती है
तथा किसी शब्द का उच्चारण खींच कर करते हैं।
ये मुख्यतः हिन्दू धर्म के रीति-रिवाजों का पालन करते है। ये लोग बघउस, वनसन्ती, दूल्हादेव, घमसान, कोरड्या, शिव, दुर्गा, हनुमान आदि देवी
देवताओं के अतिरिक्त जन्तुओं में नाग आदि की भी पूजा करते हैं।
इस जनजाति के लोग मांसाहारी और शाकाहारी
दोनों प्रकार के होते है।
प्रारम्भ में ये लोग जंगलों में शिकार, कृषि, पशुपालन और लकड़ी
काटने का काम करते थे लेकिन अब सरकार द्वारा इन क्रियाओं को प्रतिबन्धित कर देने
के कारण इन्हें मजबूर होकर भिक्षाटन करना पड़ता है। क्योंकि इनके पास कृषि योग्य
भूमि नहीं है। कभी-कभी इन्हें बंधुआ मजदूरों का भी
जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
विगत वर्षों के हल प्रश्न
1. सर्वाधिक अनुसूचित जनजातियों के प्रतिशत वाला जिला कौन है? (पीसीएस प्री-2010)
(A) मिर्जापुर
(C) खीरी
(B) सोनभद्र
(D) बिजनौर
2. सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति वाला जिला
कौन है?
(A) सोनभद्र
(C) खीरी
(B) मिर्जापुर
(D) गोरखपुर
3. सबसे कम अनुसूचित जनजाति वाला जिला
कौन है?
(A)बागपत
(C) आजमगढ़
(B) बरेली
(D) मऊ
4. प्रदेश में सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति
(पीसीएस में., 2014)
(B) गोंड
(D) खरवार
(A) थारू (C) चेरो
5. निम्न में कौन सही सुमेलित है
(PCS Main-2004)
(A) खरवार : ललितपुर C) बेगा : बहराइच
(B) भोक्सा : बिजनौर
(D) थारू : बाराबंकी
6- केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश की 10 नयी जनजातियों को कब
सूचीबद्ध किया गया?
(A) 2001
(C) 2003
(B) 2002
(D) 2004
7-परहिया जनजाति निवास करती है
(PCS Main-2011)
(A) सोनभद्र में
(C) पीलीभीत में
(B) बहराइच में
(D) ललितपुर में
8. थारू समाज में पहले निम्न में से किस प्रकार का परिवार पाया जाता था?
(A) पितृसत्तात्मक (C) उभय सत्तात्मक
(B) मातृसत्तात्मक
(D) मातृ-पितृसत्तात्मक
9-अगरिया जनजाति निवास करती है
(पीसीएस मु.-2017)
(B) मिर्जापुर
(D) गाजियाबाद
(A) सोनभद्र
C) गाजीपुर
10. करमा किस का लोक नृत्य है?
(PCS Mains-05)
(B) खरवार
(D) वैगा
(A) थारू
(C) बुक्सा
11. निम्न में से प्रदेश के किस जनजाति में
बिरादरी पंचायत पायी जाती है?(पीसीएस मु., 2015)
(A) बुक्सा
(C) परहिया
(B) थारू
(D) खरवार
12. निम्न में कौन सही सुमेलित है ? (UDA Main-2010)
(A) भोटिया - बाराबंकी
(B) बुक्सा- बिजनौर
(C) राजी - गोरखपुर
(D) थारु - बांदा
13. निम्न में से कौन-सी जनजाति सर्वाधिक
जनसंख्या वाली है?
(UPPCS Mains 2007)
(A) सहरिया
(C) अगरिया
(B) थारू
(D) खैरवार
14-निम्नलिखित जनजातियों में से किसकी संख्या
उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक है?
(UPPCS (SPL) Pre 2008)
(B) थारू
(D) धुरिया
(A)बनरावत
(C) सीरिया
15. भारत सरकार द्वारा प्रदेश की दस नई
आदिवासी जातियों को अनुसूचित जनजातियों
के रूप में सूचीबद्ध किया (UPPCS Pre 2010)
(A)2004 में
(C)2002 में
(B) 2003 में
(D) 2001 में
16-निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूचित जनजाति बिजनौर जिले में निवास
करती है?
(PCS Main-2010)
(B) खरवार
(D) थारु
(A) बेगा
(C) बोक्सा
17. निम्न जनपदों में बुक्सा जनजाति कहाँ
पाई
जाती है? (UPPCS Main 2014)
(A) बिजनौर और आगरा में (D) ललितपुर और जालौन में
(B) बहराइच और लखीमपुर में (C) मिर्जापुर और सोनभद्र
में
18. उत्तर प्रदेश की सर्वाधिक जनसंख्या वाली
जनजाति है (लो.मु. 2015)
(A) थारू
(C) खरवार
(B) बुक्सा
(D) बनरावत
1. B 2.A 3.A 4.A 5. B 6.
C 7.A 8. B 9.A 10. B 11.A 12. B 13. B 14. B 15. B 16. C 17.A 18. A
ConversionConversion EmoticonEmoticon