Search

ECONOMY CURRENT TOPICS 2020 PART-3

 

ANTORA ACADEMY

आर्थिक घटनाक्रम 2020 PART-3

CONTENTS PART-1,2,3

                               

1-एमएसएमई आपातकालीन उपाय कार्यक्रम2-बीआईएस-केयर

2-बीआईएस-केयर

3-भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण बढ़ावा देने हेतु तीन प्रोत्साहन योजनाएँ

4-कॉयर जियो-टेक्सटाइल्स

5-राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण    

राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण

6- पशुपालन अवसंरचना विकास कोष

7-भारत में पेट्रोरसायन उद्योग

8-सोशल स्टॉक एक्सचेंज

9-'क्राउडिंग आउट' एवं 'मिशन ड्रिफ्रट' 

10-अनुबंध कृषि           

11-मॉडल अनुबंध कृषि अधिनयम, 2018

12-कृषक उत्पादक संगठन (FPOs)

13-बैड बैंक

14-ऑपरेशन ट्विस्ट (Open Market Operations-OMO)

15- ई-नाम पोर्टल

16-भारतीय सेवा क्षेत्र एवं COVID-19 रिपोर्ट

PART-2

17-डिजिटल कर

18-डिजिटल कर (Digital Tax)

19-पाम ऑयल

20-कृषि अवसंरचना कोष

21-सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड 2020-21

22-यूजेन्स ऋण पत्र

23--राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन

24-भारतीय इस्पात उद्योग

25-भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण

26-राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र सम्मेलन

27-पूर्वी समर्पित माल गलियारा

28-दीर्घावधि रेपो परिचालन

29-ILO रिपोर्ट

 

PART-3

30-वैश्विक निवेश रुझान मॉनीटर रिपोर्ट

31-प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020

32-राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति

33-रिज़र्व बैंक विनियमन

34-भारतीय रेलवेः कॉर्पोरेट ट्रेन मॉडल

35-म्युनिसिपल बॉण्ड्स डेवलपमेंट कमेटी

36-खुदरा भुगतान प्रणाली

37-शुद्ध टेरेप्थेलिक अम्ल

38-संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता

39-राष्ट्रीय कार्यनीतिः वर्ष 2019-2024

40-अनिवासी सामान्य खाता

 

 

30-वैश्विक निवेश रुझान मॉनीटर रिपोर्ट

व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Conference On Trade and Development-UNCTAD) द्वारा

रिपोर्ट के महत्त्वपूर्ण बिंदु

भारत, वर्ष 2019 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) के शीर्ष 10 प्राप्तकर्ताओं में शामिल रहा है। इसका प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 49 बिलियन अमेरिकी डॉलर है जो वर्ष 2018 की तुलना में 16% की वृद्धि दर्शाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 1.39 ट्रिलियन डॉलर रहा। वर्ष 2019 में वर्ष 2018 की तुलना में वैश्विक FDI में 1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।

विकासशील देश वैश्विक FDI का लगभग आधे से अधिक FDI प्राप्त करते हैं।

दक्षिण एशिया ने FDI में 10 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की है

 भारत ने वर्ष 2018 की तुलना में FDI प्राप्ति में 16% की वृद्धि की है, जो दक्षिण एशिया के FDI की प्राप्ति में वृद्धि का मुख्य कारण है।

विकसित देशों में FDI का प्रवाह ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर पर रहा, जो कि 6 प्रतिशत घटकर अनुमानित 643 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

यूरोपीय संघ का FDI 15 प्रतिशत गिरकर 305 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में FDI का प्रवाह शून्य रहा, जिसे वर्ष 2019 में 251 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ। इसके बावजूद संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे बड़ा FDI प्राप्तकर्ता रहा।

 इसके बाद चीन को 140 बिलियन अमेरिकी डॉलर और सिंगापुर को 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर का FDI प्राप्त हुआ

इस मामले में भारत आठवें स्थान पर रहा

चीन के FDI प्रवाह में भी शून्य वृद्धि देखी गईसाथ ही ब्रेक्जिट (Brexit) के कारण ब्रिटेन के FDI में 6 प्रतिशत की कमी देखी गई।

 

व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) -

वर्ष 1964 में स्थापित

एक स्थायी अंतर-सरकारी निकाय है

इसका मुख्यालय जिनेवा (Geneva), स्विट्जरलैंड में है।

 विकासशील देशों के विकास के अनुकूल उनके एकीकरण को विश्व अर्थव्यवस्था में बढ़ावा देता है।  

इसके द्वारा प्रकाशित कुछ प्रमुख रिपोर्ट्सः

व्यापार और विकास रिपोर्ट, विश्व निवेश रिपोर्ट, न्यूनतम विकसित देश रिपोर्ट , सूचना एवं अर्थव्यवस्था रिपोर्ट, प्रौद्योगिकी एव नवाचार रिपोर्ट , वस्तु तथा विकास रिपोर्ट

 

31-प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020

17 मार्च, 2020 को 'प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020' पारित किया गया। प्रत्यक्ष कर के विवादों के निपटारे हेतु 'विवाद से विश्वास योजना' की शुरुआत की गई है। सरकार पिछले वर्ष के बजट में अप्रत्यक्ष करों से संबंधित विवादों को कम करने के लिये 'सबका विश्वास योजना' लाई गई थी।

प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास अधिनयम, 2020

इस अधिनियम का उद्देश्य प्रत्यक्ष कर संबंधी विवादों को तीव्र गति से हल करना है।

वर्तमान में विभिन्न अपीलीय मंचों यानी आयुक्त (अपील), आयकर अपीलीय अधिकरण, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में लगभग 4,83,000 प्रत्यक्ष कर से संबंधित मामले लंबित हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रत्यक्ष कर क्षेत्र में लंबित मामलों में कमी लाना है।

सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से विवादित करों का एक बड़ा हिस्सा तेजी से और सरल तरीके से वसूला जा सकेगा।

 विवाद से विश्वास योजना-

प्रस्तावित विवाद से विश्वास योजना के तहत एक करदाता को केवल विवादित करों की राशि का भुगतान करना होगा और उसे ब्याज एवं जुर्माने में पूरी छूट मिलेगी, बशर्ते वह 31 मार्च, 2020 तक भुगतान करें।

ऐसे समय में जब सरकार कर राजस्व में कमी कर रही है, तब इस योजना के माध्यम से विवादित करों की वसूली सरकार के लिये महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है। - इसके पहले विवाद निपटारे में समय के नुकसान के साथ दोनों पक्षों को अत्यधिक खर्च उठाना पड़ता था किंतु अब इस योजना के चलते करदाता एवं सरकार दोनों को फायदा होगा।

 

 

32-राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति

वर्ष 2020-21 के बजट में की गई घोषणा के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति जारी की जाएगी।

प्रस्तावित नई नीति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और प्रमुख नियामकों की भूमिकाओं को स्पष्ट किया जाएगा।

भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र सरकारी एजेंसियों, निर्यात संवर्द्धन परिषदों विभिन्न प्रमाणपत्रों एवं उत्पादों के साथ अत्यधिक जटिल एवं विभाजित है।

इसमें रोज़गार आधार (Employment Base), शिपिंग एजेंसियाँ, लॉजिस्टिक्स सेवाएँ, अंतर्देशीय कंटेनर डिपोट्स, कंटेनर फ्रेट स्टेशन, आईटी इकोसिस्टम, बैंक और बीमा एजेंसियाँ भी शामिल हैं।

भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र 22 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है, अतः इस क्षेत्र में सुधार करने से अप्रत्यक्ष लॉजिस्टिक्स लागत में 10% की कमी आएगी जिससे निर्यात में 5 से 8% की वृद्धि होगी।

वर्तमान समय में लॉजिस्टिक्स लागत जो कि मौजूदा जीडीपी का 14% है, को वर्ष 2022 तक घटाकर जीडीपी के 10% से नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया है।

 

 लॉजिस्टिक्स नीति की आवश्यकता क्यों?

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा बनाई गई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति से भारत की व्यापार प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा, साथ ही वैश्विक रैंकिंग में भारत के प्रदर्शन में सुधार से भारत को वैश्विक स्तर पर लॉजिस्टिक्स केंद्र बनाने में यह नीति मददगार साबित होगी।

इस नीति को अपनाने से सिंगल विंडो इलेक्ट्रॉनिक लॉजिस्टिक्स बाज़ार के गठन और रोज़गार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (Micro, Small and Medium Enterprises- MSME) को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये एक नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति बनाने की आवश्यकता है।

बजट वर्ष 2020-21 की घोषणाएँ

लॉजिस्टिक्स नीति के बेहतर क्रियान्वयन और परिवहन लागत को कम करने के लिये जीएसटी को अपनाया गया है जिसने परिवहन लागत को 20% कम किया है।

सभी वेयरहाउस की जियो-टैगिंग की जाएगी।

 वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (Warehousing Development and Regulatory Authority-WDRA) संबंधी मानदंडों को बेहतर तरीके से अपनाने के लिये भंडारण को बढ़ावा दिया जाएगा।

भारतीय खाद्य निगम, केंद्रीय भंडारण निगम की मदद से सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पर वेयरहाउसिंग की स्थापना हेतु विजिबिलिटी गैप फंडिंग की सुविधा प्रदान की जाएगी।

बीजों को ग्राम भंडारण योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी। इस उद्देश्य के लिये मुद्रा ऋण और नाबार्ड के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

कृषि ट्रेनों को भी सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पर चलाया जाएगा। शीघ्र खराब होने वाले खाद्य पदार्थों की शीघ्र आवाजाही के लिये रेफ्रिजरेटेड वैन को पैसेंजर ट्रेनों के साथ जोड़ा जाएगा।

शीघ्र खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को वायुमार्ग के माध्यम से ले जाने के लिये 'कृषि उड़ान योजना (Krishi Udan scheme) को लॉन्च किया जाएगा, जिसके चलते विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र और आदिवासी क्षेत्र लाभान्वित होंगे। यह निश्चित रूप से उत्पादन से उपभोग तक खाद्य पदार्थों की आवाजाही में मददगार साबित होगी।

 जैविक उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिये राष्ट्रीय जैविक ई-बाज़ार विकसित किया जाएगा।

बागवानी को बढ़ावा देने के लिये क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। इसके लिये 'एक उत्पाद एक जिले' को प्रोत्साहित किया जाएगा। वेयरहाउसिंग के वित्तपोषण को बढ़ावा देने के साथ ही ई-राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (National Agriculture Market) के एकीकरण को प्रोत्साहित किया जाएगा।

उदय योजना के तहत 100 और हवाई अड्डे स्थापित किये जाएंगे।

अंतर्देशीय जलमार्ग, विशेष रूप से जल विकास मार्ग-1 (NW1) को शुरू किया जाएगा। वर्ष 2022 तक असम में धुबरी से सदिया तक अंतर्देशीय जलमार्ग का विस्तार किया जाएगा।

अंतर्देशीय जलमार्ग को अर्थ-गंगा (Arth-Ganga) नामक कार्यक्रम के तहत बढ़ावा दिया जाएगा अर्थात्, जिसमें नदी तट के क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना शामिल है।

दिल्ली-मुंबई और चेन्नई-बंगलूरू एक्सप्रेस हाई वे वर्ष 2023 तक चालू किये जाएंगे।

100 लाख करोड़ से शुरू की गई राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन में 6500 से अधिक बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ शामिल हैं।

33-रिज़र्व बैंक विनियमन

5 फरवरी, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सहकारी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के विनियमन के तहत शामिल करने के लिये बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी है।

यह निर्णय पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (Punjab-Maharashtra Cooperative- PMC) बैंक संकट को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

सहकारी बैंकों के प्रशासनिक मामले सहकारिता रजिस्ट्रार के अंतर्गत ही रहेंगे।

अब इन बैंकों को RBI के बैंकिंग दिशा-निर्देशों के तहत विनियमत किया जाएगा। इनकी ऑडिटिंग भी इसके मानदंडों के अनुसार ही की जाएगी। इससे पहले RBI निजी और सरकारी बैंकों को नियंत्रित और विनियमित करता था। प्रमुख पदों पर नियुक्ति के लिये RBI से पूर्व अनुमति लेनी आवश्यक होगी और नियामक ऋण माफी जैसे मुद्दों का निपटान किया जा सकेगा। वित्तीय संकट में RBI के पास किसी भी सहकारी बैंक के बोर्ड को पृथक करने की शक्ति होंगी। बैंक जमा पर 1 से 15 लाख तक के इंश्योरेंस कवर में वृद्धि करने के सरकार के निर्णय के साथ-साथ प्रस्तावित संशोधनों से सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिरता में वृद्धि होगी तथा बैंकिग व्यवस्था में लोगों का विश्वास बढ़ेगा।

सहकारी बैंक

सहकारी बैंक का आशय उन छोटे वित्तीय संस्थानों से है जो शहरी और गैर-शहरी दोनों क्षेत्रों में छोटे व्यवसायों को ऋण की सुविधा प्रदान करते हैं। । सहकारी बैंक सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत किये जाते हैं। सहकारी बैंकों का स्वामित्व और नियंत्रण इसके सदस्यों द्वारा ही किया जाता है, जो लोकतांत्रिक रूप से निदेशक मंडल का चुनाव करते हैं।

इन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा विनियमित किया जाता है। एवं बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के साथ-साथ बैंकिंग कानून अधिनियम, 1965 के तहत आते हैं। | सहकारी बैंक आमतौर पर अपने सदस्यों को कई प्रकार की बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ, जैसे- ऋण देना, पैसे जमा करना और बैंक खाता आदि प्रदान करते हैं।

सहकारी बैंक का प्राथमिक लक्ष्य अधिक-से-अधिक लाभ कमाना नहीं होता, बल्कि अपने सदस्यों को सर्वोत्तम उत्पाद और सेवाएँ | उपलब्ध कराना होता है।

सहकारी बैंक संगठन, उद्देश्यों, मूल्यों और शासन के आधार पर वाणिज्यिक बैंकों से भिन्न होते हैं।

34-भारतीय रेलवेः कॉर्पोरेट ट्रेन मॉडल

हाल ही में भारतीय रेलवे द्वारा संचालित काशी महाकाल एक्सप्रेस को तीसरी कॉर्पोरेट ट्रेन का दर्जा प्राप्त हुआ है। इससे पूर्व यह दर्जा दिल्ली-लखनऊ और मुंबई-अहमदाबाद रूट के बीच संचालित दो तेजस एक्सप्रेस ट्रेनों को प्राप्त था।

कॉर्पोरेट ट्रेन मॉडल

 भारतीय रेलवे द्वारा अपने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (Indian Railway Catering and Tourism Corporation-IRCTC) के लिये नियमित यात्री ट्रेनों को 'आउटसोर्स' करने का एक नया सक्रिय मॉडल कॉर्पोरेट ट्रेन मॉडल है।

यह मॉडल एक पायलट परियोजना है। इस मॉडल के सफल होने पर निजी क्षेत्र को लगभग 100 रेलवे रूट्स पर 150 ट्रेनों का संचालित करने का अवसर प्रदान किया जाएगा।

नए मॉडल की कार्यप्रणाली

इस मॉडल में किराया, भोजन, ट्रेन के भीतर मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था तथा शिकायतों का निपटारा IRCTC द्वारा किया जाएगा। भारतीय रेलवे अब सेवा प्रदाता की भूमिका से मुक्त होगी तथा रेलवे अवसंरचना के उपयोग की अनुमति देने के लिये IRCTC से पूर्व निर्धारित राशि प्राप्त करेगी।

इस मॉडल के तीन प्रमुख घटक ढुलाई, लीज, और कस्टडी हैं। कॉर्पोरेट ट्रेन तेजस के लिये IRCTC द्वारा दिया जाने वाला ढुलाई शुल्क ₹ 800 प्रति किलोमीटर है। इसमें ट्रैक, सिग्नलिंग, ड्राइवर, स्टेशन स्टाफ जैसे निश्चित बुनियादी ढाँचे के उपयोग का शुल्क भी सम्मिलित है।

इसके अतिरिक्त IRCTC को लीज़ शुल्क (Lease Charges) और कस्टडी शुल्क (Custody Charge) भी देना पड़ता है। इनमें से प्रत्येक घटक द्वारा दिल्ली-लखनऊ रूट पर भारतीय रेलवे को ₹2 लाख प्रतिदिन की आमदनी प्राप्त होती है।

क्या यह मॉडल निजी ट्रेन संचालकों के लिये भी समान है?

 निजी ट्रेन संचालकों से संबंधित मॉडल अलग है। इसमें ढुलाई शुल्क  कॉर्पोरेट ट्रेन मॉडल के सापेक्ष ₹668 प्रति किलोमीटर है।

 इस मॉडल में राजस्व का उच्चतम प्रतिशत साझा करने वाली कंपनियाँ ही अनुबंध हासिल कर पाएंगी

 निजी संचालकों को लीज़ और कस्टडी शुल्क का भुगतान करनेकी आवश्यकता नहीं होगी।

सरकार चाहती है कि निजी संचालकों के साथ भारतीय रेलवे जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भी निजी ट्रेनों के संचालन के भार को साझा करें।

 यह मॉडल रेलवे के निजीकरण की दिशा में बढ़ने का भी एक प्रयास है।

 

35-म्युनिसिपल बॉण्ड्स डेवलपमेंट कमेटी

हाल ही में बाजार नियामक 'भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड' (Securities and Exchange Board of India-SEBI) ने म्युनिसिपल

बॉण्ड्स डेवलपमेंट कमेटी (Municipal Bonds Development Committee) का गठन किया है।

म्युनिसिपल बॉण्ड्स डेवलपमेंट कमेटी का गठन सेबी के कार्यकारी निदेशक सुजीत प्रसाद की अध्यक्षता में किया गया है।

सितंबर 2019 में सेबी ने स्मार्ट शहरों के साथ-साथ नगर नियोजन और शहरी क्षेत्रों के विकास हेतु कार्य करने वाली संस्थाओं तथा नगरपालिकाओं को ऋण प्रतिभूतियों के माध्यम से धन जुटाने में मदद देने के लिये 'मुनी बॉण्ड' जारी करने के लिये नियमों में ढील प्रदान की थी।

मुनी बॉण्ड/म्युनिसिपल बॉण्ड

केंद्र, राज्यों और स्थानीय निकायों को अपने व्यय के वित्तपोषण के लिये धन की आवश्यकता होती है। केंद्र के पास अपने बजटीय वित्तपोषण के लिये राजस्व और ऋण के विभिन्न स्रोत होते हैं। इसी तरह राज्य सरकारों के लिये राज्य विकास ऋण होता है, जो बॉण्ड का ही एक रूप है जिसे बाज़ार में बेचा जाता है। स्थानीय निकायों जैसे-नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिये केवल सीमित राजस्व स्रोत और बाज़ार से उधार लेने के लिये बहुत सीमित विकल्प होते हैं।

स्थानीय निकायों को अपने मुख्य विकास कार्यों को वित्त प्रदान करने हेतु धन की आवश्यकता पूरी करने के लिये सेबी ने वर्ष 2015 में शहरी स्थानीय निकायों को मुनी बॉण्ड के माध्यम से पैसा जुटाने हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये थे।

 मुनी बॉण्ड शहरी स्थानीय निकायों द्वारा जारी किये गए बॉण्ड हैं,इनके माध्यम से विशेष रूप से नगरपालिका और नगर निगम (नगर निकाय के स्वामित्व वाली संस्थाएँ) द्वारा संरचनात्मक परियोजनाओं के वित्तपोषण हेतु धन जुटाया जाता हैं।

म्युनिसिपल बॉण्ड्स डेवलपमेंट कमेटी के कार्य

नगरपालिका ऋण प्रतिभूतियों के प्राथमिक और द्वितीयक बाज़ार के विनियमन और विकास से संबंधित मुद्दों पर सेबी को सलाह देना।

प्राथमिक और द्वितीयक बाज़ार की प्रणालियों और प्रक्रियाओं में सरलीकरण तथा पारदर्शिता लाने के लिये कानूनी ढाँचे में परिवर्तन हेतु आवश्यक मामलों पर सेबी को सलाह देना।

 नगरपालिकाओं को नगरपालिका ऋण प्रतिभूति जारी करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के उपायों पर सेबी को सिफारिश करना।

प्राथमिक और द्वितीयक बाज़ार में निवेशक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मध्यस्थों के विनियमन से संबंधित मामलों पर सेबी को सलाह देना। नगरपालिका ऋण प्रतिभूति बाजार के विकास से संबंधित नीतिगत मामलों पर सिफारिश करना।

36-खुदरा भुगतान प्रणाली

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने ₹ 500 करोड़ की न्यूनतम भुगतान पूजी के साथ खुदरा भुगतान प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करने वाली अखिल भारतीय नई अम्ब्रेला इकाई (New Umbrella Entity-NUE) स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है।

प्रस्तावित इकाई विशेष रूप से खुदरा क्षेत्र में नई भुगतान प्रणालियों की स्थापना, प्रबंधन और संचालन करेगी। ऐसी इकाई कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत भारत में निगमित कंपनी होगी।

यह एटीएम, व्हाइट लेबल PoS, आधार-आधारित भुगतान और प्रेषण सेवाएँ, भुगतान विधियों, मानकों और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने, संबंधित मुद्दों की निगरानी करने तक सीमित नहीं है बल्कि इसके अलावा अन्य समस्याओं को भी ध्यान में रखेगी।

RBI ने निदेशकों की नियुक्ति को मंजूरी देने के अधिकार के साथ ही NUE के बोर्ड में एक सदस्य को नामित करने का अधिकार बरकरार रखा है। NUE को अपने बोर्ड में नियुक्त किये जाने वाले व्यक्तियों के लिये उपयुक्त और उचित मानदंडों के साथ-साथ कॉर्पोरेट प्रशासन के

मानदंडों के अनुरूप होना चाहिये। इकाई के कार्य

समाशोधन (Clearing) और निपटान प्रणाली संचालित करना। निपटान, ऋण, तरलता और परिचालन जैसे प्रासंगिक जोखिमों की पहचान एवं प्रबंधन और सिस्टम की अखंडता को बनाए रखना तथा खुदरा भुगतान प्रणाली के विकास की निगरानी करना। इसके अतिरिक्त इसका कार्य आर्थिक धोखाधड़ी (Fraud) से

बचने के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुदरा भुगतान प्रणाली के विकास और संबंधित मुद्दों की निगरानी करना है जो कि प्रणाली और अर्थव्यवस्था को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने 'राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद' (National Startup Advisory Council-NSAC) ont sterufera foren

.

मुख्य बिंदु __ इस परिषद की स्थापना सतत् आर्थिक विकास की अवधारणा के अंतर्गत की गई है, ताकि भारत को 'व्यापार सुगमता' (Ease of Doing Business) जैसे सूचकांकों में बेहतर स्थिति प्रदान की जा सके।

 

परिषद की संरचना

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री द्वारा राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद

की अध्यक्षता की जाएगी। इस परिषद में गैर-आधिकारिक सदस्य भी होंगे जो कि सरकार द्वारा सफल स्टार्टअप्स संस्थापकों, भारत में कंपनी स्थापित करने और उसे विकसित करने वाले अनुभवी व्यक्तियों, स्टार्टअप्स में निवेशकों के हितों का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम व्यक्तियों इन्क्यूबेटरों (Incubators) एवं उत्प्रेरकों के हितों का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम व्यक्तियों और स्टार्टअप्स के हितधारकों के संघों एवं औद्योगिक संघों के प्रतिनिधियों जैसे विभिन्न वर्गों से नामांकित किये जाएंगे।

इसके गैर-आधिकारिक सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष का होगा।

संबंधित मंत्रियों/विभागों/संगठनों के नामित व्यक्ति जो कि भारत सरकार में संयुक्त सचिव पद से नीचे के न हों, परिषद के पदेन सदस्य (Ex-officio Members) होंगे।

 उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade) के संयुक्त सचिव को इस परिषद का संयोजक नियुक्त किया जाएगा।

परिषद के गठन का उद्देश्य नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा

 इस परिषद का उद्देश्य देश में नवाचार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिये एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण हेतु सरकार को आवश्यक सुझाव देना है।

 यह परिषद नागरिकों, विशेषतः छात्रों में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देगी।

 इस परिषद के माध्यम से अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे देश में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा

 केंद्र सरकार ने सतत् आर्थिक विकास और बड़े स्तर पर रोज़गार के अवसर सृजित करने के उद्देश्य से इस परिषद की स्थापना की है।

यह परिषद उत्पादकता और दक्षता में सुधार लाने के लिये अनुसंधान एवं विकास के साथ-साथ अभिनव विचारों के सृजन में सहायता करेगी। स्टार्टअप्स को विशेष प्रोत्साहन

परिषद के गठन से स्टार्टअप्स के लिये पूंजी उपलब्ध कराने में आसानी होगी तथा स्टार्टअप्स में घरेलू पूंजी के निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह परिषद भारतीय स्टार्टअप्स में निवेश के लिये वैश्विक स्तर पर पूंजी को आकर्षित करने, मूल प्रमोटरों के साथ स्टार्टअप्स पर नियंत्रण बनाए रखने और भारतीय स्टार्टअप्स को वैश्विक बाज़ार उपलब्ध कराने में भी सहयोग करेगी।

इस परिषद का उद्देश्य बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देना है।

 इस परिषद का उद्देश्य विनियामक अनुपालन और लागत को कम करते हुए व्यापार शुरू करने, उसे संचालित, विकसित और बंद करने की प्रक्रिया को आसान बनाना है।

37-शुद्ध टेरेप्थेलिक अम्ल

हाल ही में सरकार ने पॉलियेस्टर निर्माण में प्रयुक्त रसायन शुद्ध टेरेप्थेलिक अम्ल (Purified Terephthalic Acid) पर लगने वाले एंटी डंपिंग शुल्क (Anti Dumping Duty) को हटाने का निर्णय लिया है।

मुख्य बिंदु

सरकार ने बजट सत्र के दौरान सार्वजनिक हित में PTA पर लगाए गए एंटी डंपिंग शुल्क को हटाने का निर्णय लिया है।

देश में पॉलियेस्टर के निर्माताओं ने सरकार के इस कदम को राहत वाला बताया है। ध्यातव्य है कि इससे उन्हें कम मूल्य पर कच्चा माल प्राप्त हो जाएगा और लागत भी कम होगी।

• PTA पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने के लिये दो घरेलू निर्माताओं MCC PTA India Corp. Pvt. Ltd. और रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड (Reliance Industries Ltd.) द्वारा 2013 में सरकार से अनुरोध किया गया था। इन कंपनियों का तर्क था कि कुछ देश अपने घरेलू बाज़ारों में निर्धारित मूल्य से कम कीमत पर भारत को इस उत्पाद का निर्यात कर रहे हैं। भारतीय बाजार में PTA की डंपिंग से घरेलू उद्योग पर एक गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। PTA पर डंपिंग शुल्क लगाने से पॉलियेस्टर उत्पादों का निर्माण करने वाली कंपनियों को केवल घरेलू स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता था और घरेलू बाज़ार में इसकी कीमत भी ज़्यादा थी जिसके कारण सरकार के इस कदम को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था। उनका कहना था कि सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम कपड़ा क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी उद्योग बनाने के दृष्टिकोण के विपरीत है।

शुद्ध टेरेप्येलिक अम्ल

(Purified Terephthalic Acid-PTA) - यह एक महत्त्वपूर्ण कच्चा माल है जिसका उपयोग सिंथेटिक टेक्सटाइल, यथा- पॉलियेस्टर कपड़ों सहित विभिन्न उत्पादों

को बनाने के लिये किया जाता है। - इससे निर्मित उत्पादों में पॉलियेस्टर स्टेपल फाइबर, स्पून यार्न

शामिल हैं। खेलों के लिये कपड़े, स्विम सूट, पर्दे, सोफा कवर, जैकेट, कार सीट कवर और बेड शीट में पॉलियेस्ट का एक निश्चित अनुपात होता है।

निर्णय का प्रभाव

सकारात्मक

सरकार द्वारा इस रसायन पर एंटी डंपिंग शुल्क हटाने से इस रसायन को सस्ती दर पर विभिन्न बाह्य स्रोतों यथा- चीन, ताइवान, मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, कोरिया और थाईलैंड से आयात किया जा सकेगा।

प्रतिस्पर्धी कीमतों पर इनपुट की आसान उपलब्धता रोज़गार निर्माण में अहम भूमिका निभाएगी तथा कपड़ा उद्योग में अपार संभावनाओं

के द्वार खुलेंगे।

 नकारात्मक

 सरकार द्वारा PTA से डंपिंग शुल्क हटाए जाने से PTA के घरेलू - उत्पादकों के लिये बाह्य बाज़ार में चुनौती उत्पन्न होगी।

एंटी डंपिंग शुल्क

किसी देश द्वारा दूसरे मुल्क में अपने उत्पादों को लागत से भी कम मूल्य पर बेचने को डंपिंग कहा जाता है। इससे घरेलू उद्योगों के उत्पाद महँगे हो जाते हैं जिसके कारण वे प्रतिस्पर्धा में पीछे रह जाते हैं। । सरकार इसे रोकने के लिये निर्यातक देश में उत्पाद की लागत और अपने यहाँ मूल्य के अंतर के बराबर शुल्क लगा देती है।  इसे ही डंपिंगरोधी शुल्क यानी एंटी डंपिंग ड्यूटी कहा जाता है।

 

38-संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन | एंड प्रॉस्पेक्ट्स (WESP) रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान में आर्थिक मंदी का सामना कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था की संवृद्धि दर में बढ़ोतरी के लिये निरंतर संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है। रिपोर्ट के अनुसार WESP द्वारा जीडीपी का पूर्वानुमान करते समय भारत के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical OfficeNSO) द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों को शामिल नहीं किया गया है।

 प्रमुख बिंदु

वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्ट्स (WESP) रिपोर्ट-2020 ने भारत के लिये जीडीपी संवृद्धि का अनुमान कम कर दिया है, परंतु यह उम्मीद भी जताई है कि राजकोषीय प्रोत्साहन और वित्तीय

क्षेत्र में सुधार के संयोजन से उपभोग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। वर्ष 2018 के 6.8 प्रतिशत के सापेक्ष वर्ष 2019 में 5.7 प्रतिशत की दर से अर्थव्यवस्था में तीव्र गिरावट ने भारत की मौद्रिक नीति के पूरक के रूप में राजकोषीय विस्तार की आवश्यकता को इंगित किया है। राजकोषीय प्रोत्साहन और वित्तीय क्षेत्र में सुधार के संयोजन, निवेश एवं उपभोग को बढ़ावा देकर जीडीपी में 6.6 प्रतिशत की संवृद्धि दर हासिल की जा सकती है।

भारत का वृहद आर्थिक बुनियादी ढाँचा पूर्व की भाँति मजबूत है और इसमें अगले वित्त वर्ष तक सुधार की उम्मीद है।

प्रत्येक पाँच देशों में से एक देश में इस वर्ष प्रति व्यक्ति आय में कमी या गिरावट होगी, लेकिन भारत को ऐसे देशों में सूचीबद्ध किया गया है जहाँ वर्ष 2020 में प्रति व्यक्ति जीडीपी संवृद्धि दर 4 प्रतिशत के स्तर से अधिक होने की संभावना है। वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में लंबे समय तक जारी गिरावट सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में बाधक बन सकती है, जिसमें गरीबी उन्मूलन और सभी के लिये रोज़गार के अवसरों का सृजन करने जैसे लक्ष्य भी शामिल हैं।

पूर्वी एशिया दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता क्षेत्र है और वैश्विक विकास में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। वर्ष 2020 में ब्राज़ील, भारत, मैक्सिको, रूसी संघ और तुर्की सहित अन्य बड़ी उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की संवृद्धि दर में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

 गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य असमानता की समाप्ति की दिशा में उठाए गए उपायों पर निर्भर करेगा। वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक कार्य विभाग द्वारा जारी की जाती है।

39-राष्ट्रीय कार्यनीतिः वर्ष 2019-2024

हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने वर्ष 2019-2024 की अवधि के लियेवित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति' (National Strategy for Financial Inclusion) तैयार करने की प्रक्रिया प्रारंभ की है। वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति को 'वित्तीय स्थिरता और विकास ufura' (Financial Stability and Development Council-FSDC) द्वारा अनुमोदित किया गया है।

राष्ट्रीय कार्यनीति का उद्देश्य

इस कार्यनीति का प्रमुख उद्देश्य मार्च 2020 तक प्रत्येक गाँव के 5 किमी. के दायरे में तथा पहाड़ी क्षेत्रों के 500 परिवारों के समूह तक बैंकिंग पहुँच को बढ़ाना है।

 • RBI के अनुसार, मार्च 2024 तक मोबाइल के माध्यम से वित्तीय सेवाओं तक प्रत्येक वयस्क की पहुँच सुनिश्चित करनी है।

प्रत्येक वयस्क व्यक्ति तक वित्तीय सेवाओं की पहुँच प्रदान करने के उद्देश्य से निर्धारित लक्ष्य के अनुसार प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत नामांकित प्रत्येक इच्छुक और पात्र वयस्क को मार्च 2020 तक बीमा योजना और पेंशन योजना के तहत नामांकित किया जाना चाहिये।

 मार्च 2022 तक पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री (Public Credit Registry- PCR) को पूरी तरह से प्रारंभ किये जाने की योजना है ताकि नागरिकों के साख प्रस्तावों का मूल्यांकन करने के मामले में भी अधिकृत वित्तीय संस्थाएँ इसी प्रकार का लाभ प्राप्त कर सके।

वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति

वर्तमान विश्व में वित्तीय समावेशन को आर्थिक विकास चालक और गरीबी उन्मूलन के रूप में पहचाना जा रहा है।

 वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिये सात सतत् विकार लक्ष्यों में इसकी चर्चा की गई है।

भारत में भी समन्वयपूर्ण और समयबद्ध तरीके से उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये RBI ने वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति तैयार करने की प्रक्रिया प्रारंभ की है।

 वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति से औपचारिक वित्त तक पहुँच बढ़ने से रोज़गार के सृजन को बढ़ावा मिलेगा तथा आर्थिक मोर्चे पर हानि की संभावना कम होगी और मानव पूंजी में निवेश बढ़ सकेगा।

वित्तीय समावेशन

वित्तीय समावेशन के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि समाज में अंतिम सिरे पर स्थित व्यक्ति को भी आर्थिक विकास के लाभों से संबद्ध किया जा सके ताकि कोई भी व्यक्ति आर्थिक सुधारों से वंचित न रहे। इसके तहत देश के प्रत्येक नागरिक को अर्थव्यवस्था का मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास किया जाता है ताकि गरीब व्यक्ति को बचत करने के साथ-साथ विभिन्न वित्तीय उत्पादों में सुरक्षित निवेश करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके। वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति से जहाँ एक ओर समाज में कमजोर तबके के लोगों को अपनी ज़रूरतों तथा भविष्य की आवश्यकताओं के लिये धन की बचत करने, विभिन्न वित्तीय उत्पादों जैसे- बैंकिंग सेवाओं, बीमा और पेंशन आदि के लिये प्रोत्साहन मिलेगा।

उपयोग से देश के आर्थिक क्रियाकलापों से लाभ प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा

वहीं दूसरी ओर, इससे देश को 'पूंजी निर्माण' की दर में वृद्धिकरने में भी सहायता प्राप्त होगी। इसके फलस्वरूप होने वाले धन के प्रवाह से देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलने के साथ-साथ आर्थिक क्रियाकलापों को भी बढ़ावा मिलेगा।

40-अनिवासी सामान्य खाता

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा नवंबर 2018 में बांग्लादेश तथा पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को अनिवासी सामान्य खाता (Non-Resident Ordinary Rupee Account-NRO) खोलने की अनुमति दी गई थी, जो कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (Citizenship Amendment Act) के पारित होने के बाद एक प्रासंगिक विषय बन गया है।

मुख्य बिंदु • RBI ने इससे संबंधित अधिसूचना 9 नवंबर, 2018 को विदेशी

मुद्रा प्रबंधन (जमा) संशोधन विनियमन, 2018 [Foreign Exchange Management (Deposit) Amendment Regulations, 2018] के तहत जारी की थी। उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के मुस्लिमों को अल्पसंख्यक न मानने का प्रावधान करता है।

RBI की अधिसूचना

 वर्ष 2018 में RBI द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, भारत में रह रहा ऐसा व्यक्ति जो बांग्लादेश या पाकिस्तान का नागरिक है तथा उन देशों में अल्पसंख्यक समुदायों अर्थात् हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म से संबंधित है एवं जिसे केंद्र सरकार द्वारा दीर्घकालिक वीज़ा (Long Term Visa) प्रदान किया गया है, को भारत में अर्जित आय का प्रबंधन करने के लिये NRO खाता खोलने की अनुमति दी गई थी। नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत अल्पसंख्यक व्यक्ति जब भारत के नागरिक बन जाएंगे तो उक्त NRO खातों को निवासी खातों के रूप में परिवर्तित कर दिया जाएगा।

इस अधिसूचना में उन अल्पसंख्यक व्यक्तियों को भी अर्द्धवार्षिक समीक्षा के आधार पर NRO खाता खोलने की अनुमति दी गई थी, जिन्होंने दीर्घकालिक वीज़ा के लिये आवेदन किया है तथा जिनके पास संबंधित विदेशी पंजीकरण कार्यालय (Foreigner Registration Office-FRO)/ विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (Foreigner Regional Registration Office-FRRO) द्वारा जारी वैध वीज़ा और आवासीय परमिट है।

अनिवासी सामान्य खाता (Non-Resident Ordinary Rupee Account)

अनिवासी सामान्य खाता किसी अनिवासी भारतीय द्वारा भारत ___ में अर्जित आय के प्रबंधन हेतु खोला जाने वाला एक बचत या चालू खाता है।

 - इस खाते में भारतीय मुद्रा के साथ-साथ विदेशी मुद्रा के रूप में _ भी धन जमा तथा भारतीय मुद्रा में आहरण किया जा सकता है।

इस खाते को अनिवासी भारतीय द्वारा एक भारतीय नागरिक या किसी अनिवासी भारतीय के साथ भी खोला जा सकता है।

 इस खाते में अर्जित ब्याज कर-योग्य होता है।

- इस खाते के माध्यम से ब्याज राशि तथा मूलधन की एक निर्धारित राशि को अनिवासी भारतीय द्वारा अपने देश में वापस भेजा जा सकता

ऐसे NRO खाता खोलने वाले बैंकों को त्रैमासिक आधार पर गृह मंत्रालय को इन खातों के संबंध में जानकारी देनी होगी।

क्या है बिबाद?

कुछ बैंकरों के अनुसार, RBI द्वारा उठाया गया यह कदम सिर्फ नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 को लेकर ही सवाल खड़े नहीं करता है बल्कि विवाद यह है कि RBI एक संघीय संस्था है, जो पूरी तरह से स्वायत्त है तथा किसी पूर्वाग्रह एवं धार्मिक व्यवस्था से प्रभावित - नहीं है। परंतु इसके द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 पारित होने के लगभग एक वर्ष पहले ऐसी अधिसूचना जारी करना जिसमें बांग्लादेश या पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को उसी प्रकार परिभाषित किया गया है, जिस प्रकार के प्रावधान नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 में किये गए हैं, विवाद को जन्म देता है।

 

 

 

 

Previous
Next Post »