संवैधानिक घटनाक्रम 2020 Part-3
Contents
31- राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर
प्रस्तावित
अनुच्छेद 47-A
के अनुसार
अनुसूचित जाति
जनजाति (अत्याचार निवारण )अधिनियम 1989-
31- राष्ट्रीय जनसंख्या
रजिस्टर
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनगणना 2021 के संचालन और
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर( नेशनल पापुलेशन रजिस्टर: एनपीआर) को अद्यतन करने के
प्रस्ताव को मंजूरी दी है
एनपीआर
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर देश के
सामान्य निवासियों का रजिस्टर है
भारत की प्रत्येक सामान्य निवासी के लिए
एनपीआर में पंजीकरण कराना अनिवार्य है
इसके अंतर्गत भारतीय नागरिकों के साथ
विदेशी नागरिकों को भी शामिल किया गया है
NPR का उद्देश्य देश में प्रत्येक सामान्य
निवासी के लिए एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है
इसके पूर्व एनपीआर को वर्ष 2010 में अद्यतन किया गया
था . जिसमें 15 बिंदुओं पर सूचना एकत्र की गई थी लेकिन उनमें माता-पिता के जन्म की
तारीख और स्थान तथा पिछला निवास स्थान शामिल नहीं था
सामान्य निवासी
नागरिकता नियम 2003 के अनुसार सामान्य
व्यक्ति वह व्यक्ति होता है जो पिछले 6 माह या उससे अधिक समय
से स्थानीय क्षेत्र में रह रहा है या वह व्यक्ति जो अगले छह महीने या उससे अधिक
समय तक उस क्षेत्र में निवास करने का इरादा रखता है
एनआरसी और एनपीआर में अंतर
एनपीआर में देश के नागरिक के साथ विदेशी
नागरिक को स्थान दिया गया है जबकि एनआरसी में केवल भारतीय नागरिक को स्थान दिया
जाता है
एनपीआर में सामान्य रूप से किसी शहर या
शहरी क्षेत्र में वार्ड या एक गांव या ग्रामीण क्षेत्र या कस्बे या वार्ड या सीमांकित क्षेत्र के
भीतर रहने वाले लोगों का विवरण रहता है
जबकि एनआरसी में भारत के भीतर या भारत
के बाहर रहने वाले नागरिकों का विवरण होता है
32-. निजी संपत्ति का अधिकार
·
सर्वोच्च न्यायालय ने
यह निर्णय लिया है कि नागरिकों की निजी संपत्ति का अधिकार एक मानवीय अधिकार है
न्यायालय ने निर्णय में कहा है कि विधि की सम्यक प्रक्रिया और अधिकार का पालन किए
बिना राज्य उस पर अधिकार नहीं कर सकता और ना ही प्रतिकूल कब्जे के नाम पर भूमि के
स्वामित्व का दावा कर सकता है
·
सर्वोच्च न्यायालय ने
कहा कि कल्याणकारी राज्य में संपत्ति का अधिकार एक मानव अधिकार है निजी पूंजी को
हथियाना और फिर इस पर दावा करना राज्य को अतिक्रमणकारी बनाता है
·
वर्ष 1967 में संपत्ति का
अधिकार संविधान के अनुच्छेद 31 के तहत एक मौलिक
अधिकार था
·
संपत्ति के अधिकार को
वर्ष 1978 में 44 वें संविधान संशोधन
के माध्यम से अनुच्छेद 300
ए के तहत संवैधानिक अधिकार बना दिया गया
·
संविधान संशोधन के
अनुच्छेद 300-A के अनुसार किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति
से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा अन्यथा नहीं
ADVERSE POSSESSION-
यह एक विधिक शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ
प्रतिकूल कब्जा है
अगर किसी जमीन या मकान पर उसके वैध या वास्तविक मालिक की
बजाय किसी अन्य व्यक्ति का 12 वर्ष तक अधिकार रहा
है और अगर वास्तविक या वैध मालिक ने अपनी अचल संपत्ति को दूसरे के कब्जे से वापस
लेने के लिए 12 वर्ष के भीतर कोई कदम नहीं उठाया है तो उसका मालिकाना हक समाप्त हो
जाएगा और उस अचल संपत्ति पर जिसने 12 वर्ष तक कब्जा रखा है
उसे कानूनी तौर पर मालिकाना हक दिया जा सकता है
33- दो बच्चों की नीति
राज्यसभा के 1 सदस्य द्वारा दो
बच्चों की नीति से संबंधित एक निजी विधेयक या गैर सरकारी (प्राइवेट मेंबर बिल) सदन
में प्रस्तुत किया गया है
प्रस्तावित अनुच्छेद 47-A के अनुसार
राज्य बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने
की दृष्टि से छोटे परिवार को बढ़ावा दें और जो लोग अपने परिवार को दो बच्चों तक
सीमित रखते हैं उन्हें कर रोजगार और शिक्षा आदि में प्रोत्साहन देकर
बढ़ावा दिया जाए तथा जो लोग इस नीति का पालन ना करें उनसे सभी तरह की छूट वापस ले
ली जाए
इससे पहले मार्च 2018 में दो बच्चों की
नीति की आवश्यकता पर सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई थी
सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका को यह कहते
हुए खारिज कर दिया था कि नीति निर्माण न्यायालय का कार्य नहीं है यह संसद से
संबंधित मामला है और न्यायालय इसमें दखल नहीं दे सकता
34-दलित ईसाई
सर्वोच्च न्यायालय ने दलित ईसाइयों को
अनुसूचित जाति का दर्जा देने के लिए राष्ट्रीय दलित ईसाई परिषद द्वारा दायर याचिका पर
सुनवाई हेतु सहमति व्यक्त की है
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान हिंदू
धर्म को मानने वाले अनुसूचित जाति के वह लोग जिन्होंने अपना धर्म बदल कर ईसाई धर्म
को अपना लिया था वह दलित ईसाई के रूप में माने गए
भारत में ईसाइयों की आबादी लगभग 24 मिलियन है जिसमें
दलित ईसाइयों की संख्या लगभग 16 मिलियन है दलित
ईसाइयों का सकेंद्रण भारत के दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश ,कर्नाटक ,केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना
में अधिक है
आधुनिक साहित्य में अनुसूचित जातियों के
लिए दलित शब्द का प्रयोग किया गया था औपनिवेशिक
शासन के दौरान डिप्रेस्ड क्लास के लिए दलित शब्द का प्रयोग किया गया जिसे भारतीय
संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर ने लोकप्रिय बनाया
अनुसूचित जाति जनजाति (अत्याचार निवारण )अधिनियम 1989-
सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों और
अनुसूचित जनजातियों के विरुद्ध होने वाले उत्पीड़न और हिंसा की घटनाओं को रोकने के
उद्देश्य से वर्ष 1989
में एक सशक्त कानून लाया गया
इस अधिनियम के तहत अपराधों की जांच और
पीड़ितों के पुनर्वास व राहत के लिए विशेष न्यायालयों का प्रावधान किया गया है
इस अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने
के लिए नियम बनाने की शक्ति केंद्र सरकार को प्रदान की गई है
इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने
की जिम्मेदारी राज्य/ संघ शासित प्रदेशों की है इसके लिए राज्यों को केंद्र
प्रायोजित योजना के तहत केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है
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