संवैधानिक और प्रशासनिक घटनाक्रम PART-2 2020
Contents
21-अनुसूचित जाति और
जनजाति क्षेत्र
22-ग्रामीण विकास कार्यक्रम: रिपोर्ट
23-सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2020
24-केंद्रीय संस्कृत
विश्वविद्यालय विधेयक
26-शत्रु संपत्ति/ विदेशी संपत्ति
28- ई-गवर्नेंस पर 23 वां राष्ट्रीय सम्मेलन
21-अनुसूचित
जाति और जनजाति क्षेत्र
उड़ीसा अनुसूचित जाति और जनजाति
अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान द्वारा ऐसे संभावित क्षेत्रों का एक मानचित्र तैयार
किया गया है जहां अनुसूचित
जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता )अधिनियम 2006 लागू किया जा सकता है
उड़ीसा सरकार द्वारा इस मानचित्र में 27813 वर्ग किलोमीटर
क्षेत्र को सामुदायिक वन
संसाधन और 7921
वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को व्यक्तिगत वन
अधिकार के रूप में मान्यता प्रदान की गई है
सामुदायिक
वन संसाधन पारंपरिक वन सीमाओं के आधार पर सभी
ग्राम सभाओं को प्राप्त होते हैं
वन भूमि का उपयोग करने वाले व्यक्तियों
को व्यक्तिगत वन अधिकार संबंधी अधिकार प्राप्त होते हैं, इसके अंतर्गत आने
वाली भूमि का क्षेत्रफल 4 हेक्टेयर से अधिक
नहीं हो सकता
यह दोनों अधिकार अनुसूचित जनजाति और
अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006 से लिए गए हैं
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति
क्षेत्र
संविधान के अनुच्छेद 244 में अनुसूचित और
जनजातीय क्षेत्र के माध्यम से प्रशासन की विशेष व्यवस्था की परिकल्पना की गई है
संविधान
की पांचवी अनुसूची में राज्यों के (असम ,मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम को छोड़कर ,इनके लिए छठी अनुसूची में प्रावधान है) अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्र
के प्रशासनिक नियंत्रण की चर्चा की गई है
वर्ष 1996 का PESA अधिनियम
(विस्तार अधिनियम) के माध्यम से संविधान के भाग 9 के
पंचायतों से जुड़े प्रावधानों को जरूरी संशोधनों
के साथ अनुसूचित क्षेत्र में विस्तार दिया गया है जिससे यहां की जनसंख्या को अपने
सामुदायिक परंपराओं और संस्कृति के समन्वय के माध्यम से स्वशासन की शक्ति प्रदान
की जा सके
22-ग्रामीण विकास कार्यक्रम: रिपोर्ट
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में राज्यों के प्रदर्शन से संबंधित एक
रिपोर्ट जारी की है
रिपोर्ट के अनुसार समय पर मजदूरी के
भुगतान, ग्रामीण स्तर पर शिकायत निवारण ,कौशल निर्माण और बेहतर बाजार
कनेक्टिविटी आदि देश में ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के केंद्र में होने चाहिए
इस रिपोर्ट में वर्ष 2018-19 में मुख्यता निम्नलिखित ग्रामीण विकास योजनाओं में विभिन्न राज्यों
के प्रदर्शन का आकलन किया गया है-
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
- दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना
- श्यामा प्रसाद मुखर्जी Rurban
मिशन
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
इन सभी कार्यक्रमों को केंद्र सरकार
द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के सतत और समावेशी विकास के लिए राज्य सरकारों के माध्यम
से लागू किया जा रहा है
कार्यक्रमों
का विश्लेषण
1-महात्मा
गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार
गारंटी अधिनियम अर्थात मनरेगा
को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण
रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (नरेगा) के रूप में प्रस्तुत
किया गया था
वर्ष 2010 में नरेगा का नाम बदलकर मनरेगा कर दिया गया
मनरेगा कार्यक्रम के तहत प्रत्येक
परिवार के अकुशल श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों के लिए 100 दिन का गारंटी युक्त
रोजगार, दैनिक बेरोजगारी भत्ता और परिवहन भत्ता( 5 किलोमीटर से अधिक
दूरी की दशा में) का प्रावधान किया गया है
वर्ष 2020- 21 में मनरेगा के बजट को
घटा दिया गया है
2-प्रधानमंत्री आवास योजना(
ग्रामीण)-
को केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2015 में
लांच किया गया था
इस
योजना का उद्देश्य पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान करके आवास इकाइयों के
निर्माण और मौजूदा गैर-लाभकारी कच्चे घरों के उन्नयन में गरीबी रेखा से नीचे के
ग्रामीण लोगों की मदद करना है
रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री आवास
योजना (ग्रामीण) के तहत लक्षित एक करोड़ घरों में से करीब 7 .47 lakh घरों का निर्माण पूरा होना अभी शेष है इसमें से अधिकतर घर बिहार, उड़ीसा ,तमिलनाडु और मध्य
प्रदेश में है
रिपोर्ट के अंतर्गत राज्यों को समय सीमा
में सभी घरों को पूरा करने हेतु आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है
3-प्रधानमंत्री ग्राम सड़क
योजना
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है
जिसे लागू करने की
जिम्मेदारी ग्रामीण विकास
मंत्रालय और राज्य सरकारों को दी गई है इसे दिसंबर 2000 में लांच किया गया था
इसका उद्देश्य सभी मौसम के अनुकूल एकल सड़क कनेक्टिविटी
प्रदान करना है ताकि क्षेत्र का समग्र सामाजिक, आर्थिक विकास किया जा सके हो सके
रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री ग्राम
सड़क योजना ने अपना 85% लक्ष्य
प्राप्त कर लिया है
4-दीनदयाल उपाध्याय
ग्रामीण कौशल योजना
योजना गरीब ग्रामीण युवाओं को नौकरियों में नियमित रूप से न्यूनतम
मजदूरी के बराबर या उससे अधिक मासिक मजदूरी प्रदान
करने का लक्ष्य रखता है
यह ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ग्रामीण आजीविका
को बढ़ावा देने के लिए की गई पहलो में से एक है
23-सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2020
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरोगेसी की प्रक्रिया को विनियमित करने से
संबंधित सेरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2020 को मंजूरी प्रदान कर
दी है
उद्देश्य- व्यवसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाना और परोपकारी सरोगेसी की
अनुमति देना है
यह विधेयक सरोगेसी से संबंधित प्रभावी
नियमन सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड और राज्य
स्तर पर राज्य सरोगेसी
बोर्ड के गठन का प्रावधान करता है विधेयक के अनुसार केवल भारतीय दंपत्ति ही
सरोगेसी का विकल्प चुन सकते हैं
यह विधेयक इच्छुक भारतीय निसंतान
विवाहित दंपत्ति जिसमें महिला
की उम्र 23 से 50 वर्ष और पुरुष
की उम्र 26 से
55 वर्ष हो को नैतिक
परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है
इसके अतिरिक्त यह विधेयक यह सुनिश्चित
करता है कि इच्छुक दंपत्ति किसी भी स्थिति में सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे को छोड़े नहीं नवजात बच्चा उन सभी अधिकारों का हकदार होगा जो एक प्राकृतिक
बच्चे को उपलब्ध होते हैं
24-केंद्रीय
संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक
केंद्रीय
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने 2 मार्च 2020 को राज्यसभा में
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक 2019 पेश किया
इस विधेयक का उद्देश्य भारत के तीन निम्नलिखित डीम्ड विश्वविद्यालयों को केंद्रीय
संस्कृत विश्वविद्यालय में परिवर्तित करना है
राष्ट्रीय
संस्कृत संस्थान (नई दिल्ली)
श्री
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ (नई दिल्ली)
राष्ट्रीय
संस्कृत विद्यापीठ (तिरुपति)
25-SPICe+वेब फार्म
भारत सरकार की इस ऑफ़ डूइंग बिज़नेस पहल
के एक भाग के रूप में कारपोरेट
मामलों के मंत्रालय ने स्पाइस प्लस नामक एक वेब
फार्म फार्म को अधिसूचित किया है
इस वेब फार्म से व्यापार की सुगमता में
आने वाली समस्याओं जैसे- प्रक्रिया गत जटिलता ,समय की देरी और अधिक लागत आदि का समाधान संभव हो पाएगा
26-शत्रु संपत्ति/ विदेशी संपत्ति
केंद्रीय
गृह मंत्री की अध्यक्षता में मंत्रियों के
समूह द्वारा 9400
से अधिक शत्रु संपत्तियों के निपटान की
योजना बनाई गई है
शत्रु संपत्ति
जब दो राष्ट्रों में युद्ध होता है तो
अक्सर देश में मौजूद दुश्मन देशों के नागरिकों और निगमों की संपत्ति जप्त कर ली
जाती है इन परिसंपत्तियों में जप्त की जाने वाली परिसंपत्तियों को विदेशी संपत्ति
या शत्रु संपत्ति के रूप में जाना जाता है
27-ग्राम न्यायालय
सर्वोच्च न्यायालय ने कई राज्यों और
केंद्र शासित प्रदेशों पर ग्राम
न्यायालयों की स्थापना ना करने के कारण जुर्माना लगाया है
विधि और न्याय मंत्रालय ने न्याय
प्रणाली को आम जनमानस के निकट ले जाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 39-Aके अनुरूप’ ग्राम न्यायालय अधिनियम 2008’ संसद में पारित किया
इस अधिनियम का उद्देश्य नागरिकों को उनकी दहलीज पर न्याय
दिलाना था साथ ही यह भी सुनिश्चित करना था की सामाजिक, आर्थिक और अन्य
क्षमताएं न्याय प्राप्ति में बाधा ना बने
इसके तहत 2 अक्टूबर
2009 से कुछ राज्यों में ग्राम न्यायालय ने कार्य करना शुरू किया
ग्राम
न्यायालय अधिनियम 2008 की विशेषताएं
ग्राम न्यायालय प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत
होगी और इसके पीठासीन
अधिकारी को उच्च
न्यायालय के परामर्श से राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा
ग्राम न्यायालय एक मोबाइल कोर्ट होगा और अपराधिक तथा सिविल दोनों
न्यायालयों की शक्तियों का प्रयोग करेगा
अनुच्छेद
39-A
सामान् न्याय और निशुल्क कानूनी सहायता
का प्रावधान :
राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि कानूनी
व्यवस्था का संचालन समान अवसर के आधार पर हो जो न्याय को बढ़ावा देता हो और विशेष
रूप से उपयुक्त कानून या योजनाओं या किसी अन्य तरीके से मुफ्त कानूनी सहायता
प्रदान करता हो साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण
किसी भी नागरिक को न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित नहीं किया गया है
ग्राम
न्यायालय सिविल और अपराधिक दोनों प्रकार के मामले देखता है, यह उन्हीं अपराधिक मामलों को देखता है
जिनमें अधिकतम 2 वर्ष
की सजा होती है
28- ई-गवर्नेंस पर 23 वां राष्ट्रीय सम्मेलन
7 से 8 फरवरी 2020 को मुंबई में
ई- गवर्नेंस पर 23
th राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया इस
सम्मेलन में डिजिटल तकनीक के उपयोग से शासन में परिवर्तन: अवसर और चुनौतियां विषय पर विचार विमर्श का
आयोजन भी किया गया
29-अनुच्छेद 131
केरल, नागरिकता संशोधन अधिनियम को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने वाला देश का पहला राज्य बन गया
है केरल सरकार ने शीर्ष अदालत में यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 131 के
तहत दायर की है
संविधान
का अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय की
मूल्/ आरंभिक अधिकारिता से
संबंधित है इसके तहत सर्वोच्च न्यायालय भारत के संघीय ढांचे को लेकर विभिन्न इकाइयों के मध्य होने
वाले विवादों की सुनवाई करता है
अनुच्छेद
131 के मैं में
निम्नलिखित प्रकार के विवादों को शामिल किया गया है
केंद्र
सरकार और एक या अधिक राज्यों के बीच या
एक ओर केंद्र
सरकार और एक राज्य या कई राज्य और दूसरी ओर एक या अधिक राज्यों के बीच या
दो या दो से अधिक राज्यों के बीच
30-
दल-बदल विरोधी कानून
कर्नाटक, मध्यप्रदेश और अब राजस्थान के राजनीतिक
घटनाक्रम दल बदल विरोधी गतिविधियों से संबंध रहे हैं
दल बदल विरोधी कानून को संविधान की दसवीं अनुसूची के अंतर्गत 52 th संविधान
संशोधन ,1985 द्वारा अंतर स्थापित
किया गया था
इसके तहत दल परिवर्तन के आधार पर विधानमंडल संसद के सदस्य को आयोग
घोषित कर दिया जाता है
यदि
कोई विधायक या सांसद स्वेच्छा से अपनी पार्टी से त्यागपत्र देता है या सदन
में मतदान के दौरान पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन कर मतदान करता है या मतदान से
अनुपस्थित रहता है तो उसे दलबदल का दोषी माना जाता है अगर ऐसे कृत्य करने वाले सदस्यों को संबंधित राजनीतिक
दल द्वारा क्षमा कर
दिया जाता है तो वह अयोग्य
नहीं होगा
यदि कोई निर्दलीय सदस्य किसी भी सदन का सदस्य निर्वाचित होता
है और चुनाव के बाद वह किसी भी राजनीतिक दल की सदस्यता ग्रहण करता है तो उसे सदस्यता हेतु अयोग्य माना जाएगा
दल बदल के कारण उत्पन्न अयोग्यता के
मामले में किसी भी विवाद का
निपटारा सदन के पीठासीन
अधिकारी अर्थात विधानसभा अध्यक्ष /लोकसभा अध्यक्ष या सभापति द्वारा किया
जाता है हालांकि पीठासीन अधिकारी का निर्णय न्यायिक
समीक्षा के अधीन है
अपवाद
तीन
अपवाद हैं
1-यदि वह संसद/ राज्य
विधान मंडल का अध्यक्ष
/सभापति नियुक्त होता है और संसद /राज्य विधानमंडल में अपनी पार्टी के
निर्देशों से हटकर मतदान करता है या मतदान से अनुपस्थित रहता है
2- दसवीं अनुसूची के तहत सदन का सदस्य दावा
करता है कि वह या उसके राजनीतिक दल का कोई सदस्य है उस समूह के गठन का
प्रतिनिधित्व करता है जो उसके मूल राजनीतिक दल के विभाजन के परिणाम स्वरूप उत्पन्न
हुआ है और उस समूह में ऐसे राजनीतिक दल के एक तिहाई सदस्य शामिल हैं
(91th संविधान संशोधन अधिनियम 2003 द्वारा 1/3 सदस्यों वाले विभाजन
के प्रावधान को अमान्य
घोषित कर दिया गया है)
3- यदि किसी राजनीतिक दल के 2/3 सदस्यों
द्वारा किसी अन्य दल में विलय या एक नई पार्टी का गठन
किया जाता है
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