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Uttar Pradesh Budget 2021-2022 Important Points of Budget Speech in hindi

वित्तीय वर्ष 2021-2022 के उत्तर प्रदेश के बजट अनुमानों पर

माननीय वित्त मंत्री जी(श्री सुरेश कुमार खन्ना) के बजट भाषण के महत्वपूर्ण बिंदु

 


वर्ष 2020 पूरे विश्व के लिये एक अत्यन्त चुनौती भरा वर्ष रहा। विश्व के महाशक्ति कहे जाने वाले देशों की चिकित्सा व्यवस्था और अर्थव्यवस्था कोविड-19 वैश्विक महामारी के समक्ष असहाय दिखी। भय, मृत्यु और लाचारी के उस अंधकार भरे काल में भारत के नेतृत्व और भारत की जनता ने पूरे विश्व के समक्ष अनुशासन, संयम और कर्मठता का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया।

भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन में जनप्रतिनिधियों, चिकित्सकों, पैरामेडिकल कर्मियों, पुलिस बल, सरकारी कर्मचारियों और जनसामान्य ने कोविड-19 की विभीषिका के समक्ष जिस एकजुटता और जुझारूपन का परिचय दिया उसका वर्णन शब्दों में किया जाना सम्भव नहीं है।

 

हमारे प्रदेश का चिकित्सातंत्र, पुलिसकर्मी, परिवहन सेवायें, खाद्य एवं आपूर्ति सेवायें तथा अन्य सरकारी कर्मी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में इस महामारी को परास्त करने के लिये डटे रहे। संक्रमण की रोकथाम हेतु भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अक्षरशः अनुपालन कराया गया ।

देश की आबादी का छठा हिस्सा उत्तर प्रदेश राज्य में निवास करता है। ऐसी स्थिति में प्रदेश में कोरोना महामारी से निपटने की चुनौती और भी अधिक हो जाती है। प्रदेश सरकार ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुये देशव्यापी लॉकडाउन से पूर्व ही महामारी की रोकथाम एवं जरूरतमंदों को सहायता उपलब्ध कराये जाने का प्रयासों पर विचार करने हेतु मार्च, 2020 में माननीय मंत्रिपरिषद की एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति द्वारा सम्भावित परिस्थितियों का आंकलन करते हुये जरूरतमंदों को सहायता उपलब्ध कराये जाने की वृहद कार्ययोजना सहित अपनी रिपोर्ट लॉकडाउन से पूर्व ही प्रस्तुत कर दी गई।

 

कार्य योजना को मूर्त रूप प्रदान करते हुये, राज्य के श्रम विभाग में पंजीकृत लगभग 20 लाख श्रमिकों को प्रति श्रमिक

01-01 हजार रुपये की दर से भरण पोषण सहायता की दो किश्तें उपलब्ध करायी गयीं। साथ ही, शहरों में स्ट्रीट वेन्डर्स, ठेला, खोमचा, साप्ताहिक बाजार आदि के दिहाड़ी मजदूरों, कुली, पल्लेदारों का डेटाबेस तत्परता से तैयार करते हये इन्हें भी भरण पोषण सहायता समान दर पर प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक रूप से असहाय व्यक्तियों को चिन्हित कर प्रति व्यक्ति 1000 रुपये की धनराशि भरण पोषण सहायता के रूप में उपलब्ध करायी गयी। इसी दौरान अन्य प्रदेशों से आने वाले अप्रवासी मजदूरों को मनरेगा से जोड़कर सहायता प्रदान की गयी। कुल 54 लाख से अधिक व्यक्तियों को भरण पोषण सहायता प्रदान की गयी।

 

प्रदेश के निर्धन वर्ग के लिये निःशल्क राशन की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की गयी। मनरेगा कार्ड धारकों को भी निःशुल्क राशन उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था की गयी। पहली बार शहरी क्षेत्रों के दिहाड़ी मजदूरों के लिये इस अवधि में लगभग 10 लाख 35 हजार नये राशन कार्ड बनाये गये।

प्रदेश के असहाय व्यक्तियों को दी जाने वाली वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन तथा दिव्यांगजन पेंशन की किश्तें एडवांस में वितरित की गयी।

कोरोना के दृष्टिगत प्रदेश में मनरेगा योजना से श्रमिकों को जोड़ते हुये उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया गया। योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2020-2021 में 29 करोड़ 58 लाख मानव दिवसों का सृजन किया जा चुका है। प्रदेश में वर्ष भर में 1.03 करोड़ श्रमिकों को रोजगार प्रदान किया गया जो प्रदेश में सर्वाधिक है।

देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि में परिवहन निगम द्वारा आपातकालीन संचालन कर लगभग 40 लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह जनपदों तक भेजा गया। राजस्थान के जनपद कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे 12 हजार से अधिक छात्र/छात्राओं तथा जनपद प्रयागराज में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लगभग 14 हजार छात्र/छात्राओं को सकुशल उनके गृह जनपदों तक पहुंचाया गया।

कोरोना महामारी की रोकथाम एवं आम जनता को सुविधायें उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की 11 सदस्यीय टीम-11 का गठन किया गया जिसके द्वारा की गयी कार्यवाही की समीक्षा प्रतिदिन माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा स्वयं की जाती है। यह बैठकें अभी भी आयोजित की जा रही हैं।

 

 देश के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 की वैक्सीन अपेक्षाकृत रूप से कम समय में तैयार कर ली। उत्तर प्रदेश में वैक्सीन के लिये कोल्ड चेन की व्यवस्था की जा चुकी है। टीकाकरण अभियान प्रारम्भ हो चुका है।

प्रदेश में कोरोना संक्रमण की जाँच हेतु सार्वजनिक क्षेत्र में 125 लैब तथा निजी क्षेत्र में 104 लैब क्रियाशील हैं। कोविड-19 टेस्टिंग क्षमता शून्य से बढ़ाकर 02 लाख प्रतिदिन की गई। कोरोना संक्रमण के मरीजों के लिये 1.50 लाख बेड एवं प्रत्येक जनपदों में आई0सी0यू0 बेडों की व्यवस्था करायी गई है।

कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिये पूरे देश में एक लम्बे समय तक लॉकडाऊन रहा। इसका प्रतिकूल प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ा। हमारी राजस्व प्राप्तियाँ प्रभावित हुयीं। फिर भी, माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में हमने प्रदेश में प्रभावी वित्तीय अनुशासन लागू किया। जनता को सुविधायें एवं राहत पहुँचाने के लिये धनराशि में कमी नहीं होने दी गयी, कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का भुगतान निर्बाध बना रहा ।

 

हमारे प्रयासों का सार्थक परिणाम है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था पुनः गति पकड़ रही है। हमारी सरकार किसानों के उत्थान तथा उनकी आय दोगुना किये जाने के लक्ष्य के प्रति संकल्पित है। किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दो गुना करने हेतु विभिन्न योजनाओं के बेहतर उपयोग के लिये अवस्थापना से संबंधित गैप्स को पूरा करने हेतु वित्तीय वर्ष 2021-2022 से आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना क्रियान्वित की जायेगी। प्रदेश के ऐसे किसान जिनकी दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है, के परिवारों को मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अन्तर्गत 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। इस योजना का आच्छादन बढ़ाते हुये खातेदार एवं सहखातेदार किसानों के परिवारों के कमाऊ सदस्य तथा ऐसे भूमिहीन व्यक्ति जो पटे से प्राप्त भमि पर अथवा बटाई पर खेती करते हैं, को भी पात्रता की श्रेणी में रखा गया है। मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ प्रदेश के किसानों को भी प्राप्त होगा।

 

मानव संपदा के विकास के लिये आवश्यक है कि प्रदेश की महिलाओं का सर्वांगीण उत्थान सुनिश्चित किया जाये। हर बालिका को स्कूली शिक्षा हेतु प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है। कन्या सुमंगला योजना इस क्रम में अहम भूमिका निभा रही है।

मिशन शक्ति दृढ़तापूर्वक लागू किया जायेगा जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश की हर महिला को सुरक्षा उपलब्ध होगी। पूर्व संचालित पोषण कार्यक्रम के साथ-साथ मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण योजना वित्तीय वर्ष 2021-2022 से क्रियान्वित की जायेगी जिसके माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों को बेहतर पोषण उपलब्ध हो सकेगा। हमारी सरकार का लक्ष्य हर बच्चे को सुपोषण उपलब्ध कराना है।

ग्रामीण अंचलों में महिला दुग्ध उत्पादकों के स्वयं सहायता समूहों की आजीविका में वृद्धि एवं सम्वर्द्धन हेतु वित्तीय वर्ष 2021-2022 से महिला सामर्थ्य योजना के नाम से एक नई योजना क्रियान्वित की जायेगी।

 

प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये जो प्रयास किये गये हैं उनसे अब उद्यमियों द्वारा प्रदेश में उद्यम लगाना सरल हो गया है। राज्य सरकार ने कोरोना महामारी कालखण्ड के उपरान्त पिछड़े क्षेत्रों के लिये त्वरित निवेश प्रोत्साहन नीति-2020 घोषित की। इसके अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के पूर्वांचल, मध्यांचल और बुन्देलखण्ड क्षेत्रों में नई औद्योगिक इकाईयों को फास्ट ट्रैक मोड में आकर्षक प्रोत्साहन प्रदान किये जा रहे हैं। कोविड-19 के कारण इन्हीं क्षेत्रों में अधिकतर प्रवासी मजदूरोंकामगारों की वापसी हुई है।

पिछली सरकारों के कार्यकाल में प्रदेश के महत्वपूर्ण स्थानों पर सरकारी क्षेत्र की बड़े मूल्य की परिसंपत्तियाँ निष्प्रयोज्य हो गयीं। हमारी सरकार ने इस स्थिति का संज्ञान लेते हुये ऐसी निष्प्रयोज्य समझी जाने वाली परिसम्पत्तियों को पुनर्जीवित कर पी०पी०पी० मोड में औद्योगिक पार्क/ आस्थान/ क्लस्टर स्थापित कराये जाने का निर्णय लिया है। इस हेतु सम्प्रति उ०प्र० स्टेट स्पिनिंग कम्पनी की बन्द पड़ी कताई मिलों की परिसम्पत्तियों का जीर्णोद्धार किया जायेगा।

 

प्रदेश के युवाओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलाने के उद्देश्य से निःशुल्क कोचिंग की योजना "मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना" प्रारम्भ की गयी है।

हमारी सरकार द्वारा अपराधियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की गयी है जिसके फलस्वरूप प्रदेश में कानून व्यवस्था सुदृढ़ हुई है और जनसामान्य में सुरक्षा की भावना बलवती हयी है। महिलाओं की सुरक्षा के लिये व्यापक कार्यक्रम चलाये गये हैं। प्रदेश को अपराधियों, गुण्डों और आतताइयों से मुक्त किये जाने का हमारा दृढ़ संकल्प है। हमारा यह संकल्प है कि हर जुल्मी जेल की सलाखों के पीछे होगा। हमारी सरकार ने यह निर्णय लिया है कि महान क्रान्तिकारी एवं शहीद ठाकुर रोशन सिंह के बलिदान की पुनीत स्मृति में प्रदेश के प्रत्येक जनपद में पुलिस आवासों का नामकरण उनके नाम पर किया जायेगा।

 

जनसाधारण के जीवन स्तर में सुधार लाये जाने की दिशा में हमारी सरकार अनवरत कार्य कर रही है। प्रदेश में “ईज ऑफ लिविंग" का लक्ष्य प्राप्त किया जाना हमारे विभिन्न कार्यक्रमों का केन्द्र बिन्दु है। हर घर जल. हर घर बिजली, हर गाँव में सड़क, हर क्षेत्र में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी।

प्रदेश के सभी जनपदों में प्रत्येक परिवार को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने हेतु वित्तीय समावेशन कार्यक्रम तथा प्रधानमंत्री जन धन योजना के अन्तर्गत दिनांक 31 जनरी, 2021 तक 07 करोड़ 02 लाख बैंक खाते खोले जा चुके हैं तथा 05 रोड़ 12 लाख खातों के रूप डेबिट कार्ड निर्गत किये जा चुके हैं। वर्तमान में प्रदेश के सभी जनपदों में 19,038 बैंक शाखाओं एवं 64,172 बैंक मित्रों, इस प्रकार कुल 83,210 बैंकिंग केन्द्रों के माध्यम से बैंकिंग सेवायें प्रदान की जा रही हैं। इसके अतिरिक्त, प्रदेश की समस्त 58,000 पंचायतों में बिजनेस करेस्पॉण्डेण्ट सखी को चयनित एवं प्रशिक्षित कर तैनात करने की योजना चलायी जा रही है । मान्यवर,

हमारी सरकार का वित्तीय वर्ष 2017-2018 का बजट "किसानों को, 2018-2019 का बजट "औद्योगिक विकास को. 2019-2020 का बजट “महिलाओं के सशक्तिकरण को तथा 2020-2021 का बजट “युवाओं की शिक्षा, कौशल संवर्धन, रोजगार, मूलभूत अवस्थापना तथा त्वरित न्याय” को समर्पित था। वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट का केन्द्र बिन्दु प्रदेश के समग्र एवं समावेशी विकास द्वारा प्रदेश के विभिन्न वर्गों का “स्वावलम्बन से सशक्तिकरण'

 

आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश

 

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जी द्वारा देश के चहुँमुखी विकास हेतु आत्मनिर्भर भारत का जो विजन दिया गया है, उसे मूर्तरूप देने में उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान होगा । इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु हमारी सरकार आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश के विकास मंत्र पर कार्य कर रही है। आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की अवधारणा के चार स्तम्भ होंगेअवस्थापना विकास, जनस्वास्थ्य, मानव सम्पदा एवं सामाजिकसांस्कृतिक विकास तथा कृषि एवं सम्बद्ध क्रियाकलापों का विकास

हमारी सरकार प्रदेश में जनस्वास्थ्य, स्वच्छता, सुरक्षा, स्वदेशी को बढ़ावा, स्वावलम्बन तथा सशक्तिकरण पर केन्द्रित योजनाओं और कार्यक्रमों को गति प्रदान करते हुये आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश के लक्ष्य को प्राप्त करेगी।

हमारे इन प्रयासों का उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों को स्वरोजगार के अवसर एवं सुविधायें उपलब्ध कराते हुये उन्हें आत्मनिर्भर तथा सशक्त बनाया जाना है । मैं इस सम्मानित सदन के माध्यम से

सभी माननीय सदस्यों का आह्वान करता हूँ कि आईये हम सब मिलकर उत्तर प्रदेश को स्वस्थ, सुरक्षित, समृद्ध एवं आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश बनायें ।

हमारी सरकार प्रदेश के किसानों, महिलाओं, युवाओ, उद्यमियों तथा श्रमिकों की समस्याओं के प्रति जागरूक एवं संवेदनशील है। महिलाओं तथा युवाओं के लिए रोजगार तथा स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने, किसानों की आय को दोगुना करने और प्रदेश को उद्योगों एवं उद्यमियों के लिए आकर्षक निवेश गन्तव्य बनाने की दिशा में हमारी सरकार अपने कार्यकाल के प्रारम्भ से कार्य कर रही है । इसके सार्थक परिणाम सामने आये हैं

 

सुरक्षित उत्तर प्रदेश

 

सभ्य समाज के सर्वांगीण विकास के लिये सुदृढ़ कानून व्यवस्था तथा समाज के सभी वर्गों में सुरक्षा की भावना का होना अत्यन्त आवश्यक है । हमारी सरकार ने अपने कार्यकाल के प्रारम्भ से ही प्रदेश में कानून का राज स्थापित करने के लिये विशेष अभियान चलाये हैं । कुख्यात अपराधियों, भू-माफियाओं तथा खनन माफियाओं आदि के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की गयी है। महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण हेतु एन्टी रोमियो स्क्वाड का गठन कर अनवरत अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस बल का आधुनिकीकरण हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में है।

 

फोरेन्सिक साइंस, आचार विज्ञान, तकनीक और प्रबन्धन के क्षेत्र में अभिनव शिक्षा प्रशिक्षण में आवश्यक तकनीकों की विशेषज्ञता उत्पन्न करने एवं प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार करने के उद्देश्य से लखनऊ में उत्तर प्रदेश पुलिस और फोरेन्सिक साइंस इन्स्टीट्यूट की स्थापना की गयी है। नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के दौरान प्रदेश में क्षतिग्रस्त राजकीय सम्पत्तियों की क्षति करने वाले दोषी व्यक्तियों से 23 लाख 36 हजार रूपये की वसूली क्षतिपूर्ति के रूप में की गयी।

 

आपराधिक कृत्य से अर्जित की गयी सम्पत्तियों में से लगभग 1000 करोड़ रूपये से अधिक मूल्य की अवैध सम्पत्तियों पर सरकारी जमीन अवमुक्त कराने/ध्वस्तीकरण/जब्तीकरण की कार्यवाही की गयी तथा इनके लगभग 150 से अधिक शस्त्र लाइसेन्स के निरस्तीकरण की कार्यवाही भी की गयी ।

 

महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा और सुदृढ़ बनाये रखने के उद्देश्य से प्रदेश के सभी जनपदों के समस्त 1535 थानों में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गयी है जिस पर ससम्मान उनकी शिकायतों का निराकरण कराया जा रहा है।

विभागवार प्रमुख योजनाओं का उल्लेख करने के पूर्व मैं किसानों, महिलाओं तथा युवाओं के उत्थान एवं सशक्तिकरण को समर्पित कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत करना चाहूँगा :

 

किसान

 

किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त किये जाने हेतु किसानों को उन्नत तकनीक, प्रशिक्षण एवं मुफ्त पानी उपलब्ध कराया जा रहा है तथा उन्हें सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण कार्यक्रमों से आच्छादित किया गया है। हमने यह सुनिश्चित कराया है कि किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य समय से एवं पूर्ण पारदर्शिता के साथ डी०बी०टी० के माध्यम से प्राप्त हो।

हमारी सरकार द्वारा गन्ना किसानों को लगभग 1 लाख 23 हजार करोड़ रूपये से अधिक के रिकार्ड गन्ना मूल्य का भुगतान सुनिश्चित कराया गया है। यह धनराशि पिछली सरकारों के 03 वर्षों के सम्मिलित गन्ना मूल्य भुगतान 53,367 करोड़ रूपये से 69,633 करोड़ रूपये अधिक तथा 05 वषों के सम्मिलित गन्ना मूल्य भुगतान

95,215 करोड़ रूपये से 27,785 करोड़ रूपये अधिक है।

 

रबी विपणन वर्ष 2020-2021 की अवधि में कोविड-19 महामारी

के अन्तर्गत देशव्यापी लॉकडाउन से उपजी विषम परिस्थितियों के बाद भी प्रदेश में 5896 गेहूँ क्रय केन्द्र स्थापित कर 35 लाख 76 हजार मीट्रिक टन गेहूँ क्रय किया गया, जिसके सापेक्ष किसानों के खातों में 6885 करोड़ रूपये का ऑनलाईन भुगतान किया गया। खरीफ विपणन वर्ष 2020-2021 में मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत स्थापित 4453 क्रय केन्द्रों के माध्यम से 15 फरवरी, 2021 तक 65 लाख 50 हजार मीट्रिक टन से अधिक धान खरीद की गई जिसके सापेक्ष किसानों के खातों में 11,145 करोड़ रूपये का ऑनलाईन भुगतान किया जा चुका है। प्रदेश में दिनाँक 28 फरवरी, 2021 तक धान खरीद होनी है।

 

खरीफ विपणन वर्ष 2020-2021 के अन्तर्गत दिनाँक 15 फरवरी, 2021 तक 108 मक्का क्रय केन्द्रों के माध्यम से 01 लाख 06 हजार मीटिक टन से अधिक मक्के की खरीद की जा चुकी है जिसके सापेक्ष 197 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

 

"प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत प्रदेश 2 करोड़ 40 लाख किसानों को 27 हजार 123 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि का भुगतान डी0बी0टी0 के माध्यम से किसानों के बैंक खातों में किया गया है। किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दो गुना करने हेतु विभिन्न योजनाओं के बेहतर उपयोग के लिये अवस्थापना से संबंधित गैप्स को पूरा करने के लिये वित्तीय वर्ष 2021-2022 से आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना क्रियान्वित की जायेगी। योजना के मुख्य घटक होंगे- प्रदेश के प्रत्येक एग्रो क्लाईमेटिक जोन में अधिक उत्पादकता वाली फसलों का चिन्हीकरण, उत्पादकता कृषि हेतु नवीन तकनीक एवं निवेश को बढ़ावा, चयनित उत्पादों का मूल्य संवर्धन, विपणन हेतु बाजार तैयार किया जाना तथा ब्लॉक स्तर पर कृषक उत्पादन संगठनों की स्थापना। योजना हेतु 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अन्तर्गत 600 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। ।

 

नहरों एवं सरकारी नलकूपों से किसानों को मुफ्त पानी की

सुविधा हेतु 700 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। कृषकों को प्रारम्भिक सहकारी कृषि ऋण समितियों के माध्यम से रियायती दरों पर फसली ऋण उपलब्ध कराये जाने हेतु अनुदान के लिये 400 करोड़ रुपये की व्यवस्था का प्रस्ताव है। "प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान' योजना के अन्तर्गत खेतों में विभिन्न क्षमताओं के सोलर पम्पों की स्थापना करायी जा रही है। वित्तीय वर्ष 22021-2022 में 15000 सोलर पम्पों की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।


महिलायें


प्रदेश की महिलाओं को स्वावलम्बी बनाते हुये उनका सशक्तिकरण किया जाना हमारी सरकार का संकल्प है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये महिलाओं को सुरक्षा प्रदान किया जाना, उन्हें शिक्षा, कौशल सम्वर्द्धन और रोजगार तथा स्वरोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध कराया जाना हमारी प्राथमिकता है।

महिला सशक्तिकरण हेतु राज्य सरकार द्वारा दिनाँक 01 अप्रैल, 2019 से मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना लागू की गयी है, जिसका मुख्य उद्देश्य बालिकाओं के स्वास्थ्य एवं शिक्षा को प्रोत्साहन देना एवं बालिका के जन्म के प्रति समाज में सकारात्मक सोच विकसित करना है। इसके अन्तर्गत पात्र

 

बालिकाओं को 06 विभिन्न श्रेणियों में 15,000 रुपये की सहायता से प्रदान की जा रही है। योजना हेतु 1,200 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना की सफलता एवं जनसामान्य में योजना के प्रति उत्साह को देखते हुये योजना का आच्छादन बढाये जाने का निर्णय लिया गया है। महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिये एक नई योजना मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण योजना वित्तीय वर्ष 2021-2022 से क्रियान्वित की जायेगी। इस योजना के अन्तर्गत ड्राई राशन के साथ-साथ आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत 6 माह से 5 वर्ष तक के चिन्हित कुपोषित बच्चों तथा एनीमिया ग्रस्त 11-14 वर्ष की स्कूल जाने वाली किशोरी बालिकाओं को अतिरिक्त पोषण प्रदान किया जायेगा। योजना हेतु 100 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। पुष्टाहार कार्यक्रम हेतु 4094 करोड़ रुपये तथा राष्ट्रीय पोषण अभियान हेतु 415 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत ग्रामीण अंचलों में महिला दुग्ध उत्पादकों के स्वयं सहायता समूहों की आजीविका में वृद्धि हेतु वित्तीय वर्ष 2021-2022 से महिला सामर्थ्य योजना के नाम से एक नई योजना क्रियान्वित की जायेगी। इस हेतु

200 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

महिलाओं को न्यायालयों से गुजारा भत्ता प्राप्त होने तक के लिये राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने का निर्णय लिया गया है। "निराश्रित महिला पेंशन योजनान्तर्गत 500 रुपये प्रतिमाह का भुगतान लाभार्थियों के खाते में किया जा रहा है। उक्त के अतिरिक्त वर्तमान वित्तीय वर्ष में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के रूप में पात्र लाभार्थियों को नियमित पेंशन के साथ 500 रुपये प्रतिमाह की दर से 02 माह हेतु 1,000 रुपये की अतिरिक्त धनराशि भी प्रदान की गयी है। महिला शक्ति केन्द्रों की स्थापना हेतु 32 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। महिलाओं एवं बालिकाओं के साथ घटित होने वाले अपराधों के प्रभावी रोकथाम हेतु उ0प्र0 पुलिस द्वारा दिनाँक 1 नवम्बर, 2020 से 30 नवम्बर, 2020 तक विशेष अभियान "मिशन शक्ति" चलाया गया जिसके उत्साहवर्धक एवं सार्थक परिणाम परिलक्षित

महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलम्बन के लिये प्रत्येक तहसील पर महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है। इसके माध्यम से महिलाओं की शिकायतों का गुणवत्तापूर्वक निस्तारण किया जा रहा है जिसकी नियमित समीक्षा तहसीलदार,

उप जिलाधिकारी एवं जिलाधिकारी द्वारा की जा रही है।

 

 

युवाओं के लिये


हमारा यह मानना है कि युवा शक्ति एवं ऊर्जा समाज के विकास का सशक्त वाहक है। हमने समाज के युवा वर्ग के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान दिया है। प्रदेश के युवाओं के कौशल का सम्वर्द्धन हमारी प्राथमिकता है ताकि वे रोजगार के अवसरों का भरपूर उपयोग कर सकें। इस हेतु विद्यालयों में कनेक्टिविटी की उपलब्धता बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है। डिजिटल विलेज के विकास से ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को बेहर कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी जिससे वे शिक्षा एवं रोजगार के वैश्विक परिदृश्य से परिचित हो सकेंगे। मैं प्रदेश के युवाओं का आह्वान करते हुये कहना चाहूँगा


प्रदेश के युवाओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलाने के उद्देश्य से निःशुल्क कोचिंग की योजना "मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना प्रारम्भ की जा रही है। इस योजना के प्रति युवाओं में अत्यधिक उत्साह है। योजना के अन्तर्गत पात्रता के आधार पर छात्र एवं छात्राओं को टैबलेट उपलब्ध कराये जायेंगे ताकि वे डिजिटल लर्निंग के माध्मय से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें। इस हेतु समुचित धनराशि की

व्यवस्था कराई जायेगी

 

सहायता प्राप्त अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों तथा राजकीय

संस्कृत विद्यालयों में अवस्थापना सुविधा के विकास एवं सदृढ़ीकरण का निर्णय लिया गया है। संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत् निर्धन छात्रों को गुरूकुल पद्धति के अनुरूप निःशुल्क छात्रावास एवं भोजन की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। प्रदेश में कैरियर काउंसलिंग कार्यक्रमों का आयोजन कर बेरोजगार युवाओं को रोजगार के उपलब्ध अवसरों तथा रोजगारपरक प्रशिक्षण आदि की जानकारी प्रदान की जाती है ताकि उन्हें अपने कौशल एवं योग्यता के अनुसार रोजगार प्राप्त करने में सहूलियत हो । अक्टूबर, 2020 तक वर्तमान वित्तीय वर्ष में ऐसे 943 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिनमें 52,000 से अधिक युवाओं द्वारा प्रतिभाग किया गया

नेशनल कैरियर सर्विस प्रोजेक्ट के अन्तर्गत प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर मॉडल कैरियर सेन्टर स्थापित किये गये हैं। प्रदेश के 12 अन्य जनपदों में मॉडल कैरियर सेन्टर स्थापित किये जाने की योजना है | उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन द्वारा विगत 04 वर्षों में 07 लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है तथा 03 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार से जोड़ा गया है। युवा खेल विकास एवं प्रोत्साहन योजना के लिये हेतु 8.55 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को खेलकूद के बेहतर अवसर प्रदान किये जाने हेतु ग्रामीण स्टेडियम एवं ओपेन जिम के निर्माण हेतु 25 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। जनपद मेरठ में नये स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। प्रदेश के 19 जनपदों में 16 खेलों के लिये 44 आवासीय छात्रावास स्थापित हैं जिनमें 220 बालिकायें एवं 670 बालकों हेतु प्रशिक्षण की व्यवस्था है। इन प्रशिक्षार्थियों को खेल के साथ-साथ स्थानीय विद्यालयों में प्रवेश दिलाकर शिक्षा की सुविधा भी प्रदान की जाती है। वित्तीय वर्ष 2021-2022 में युवक एवं महिला मंगल दलों के प्रोत्साहन हेतु 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। प्रान्तीय रक्षक दल कोष की धनराशि में वृद्धि किये जाने का निर्णय लिया गया है जिससे प्रान्तीय रक्षक दल के सदस्यों को प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता की राशि में वृद्धि होगी। युवा अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने हेतु कॉर्पस फण्ड में 5 करोड़ रूपये की धनराशि की व्यवस्था प्रस्तावित है। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में अधिवक्ता चैम्बर का निर्माण एवं उनमें अन्य अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु 20 करोड़

रूपये की धनराशि की व्यवस्था प्रस्तावित है।

• युवा अधिवक्ताओं के लिये पुस्तक एवं पत्रिका आदि के क्रय करने हेतु 10 करोड़ रूपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है।


श्रमिक कल्याण


श्रमशक्ति किसी भी क्षेत्र में हमारे लक्ष्य प्राप्ति का सबसे बड़ा साधन है। अतः श्रमिकों का कल्याण एवं संरक्षण अत्यावश्यक है।

 

• कोरोना महामारी के कारण देश में लागू लॉकडाउन के फलस्वरूप विभिन्न प्रदेशों से वापस आये प्रदेश के श्रमिकों व कामगारों को रोजगार व स्वरोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक नयी योजना "मुख्यमंत्री प्रवासी श्रमिक उद्यमिता विकास योजना" लाई जा रही है। योजना हेतु 100 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। पल्लेदारों, श्रमिक परिवारों तथा असंगठित क्षेत्र के कर्मकारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान किये जाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री दुर्घटना बीमा योजना प्रारम्भ की जा रही है जिसके लिये 12 करोड़ रूपये की धनराशि की व्यवस्था प्रस्तावित है। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सुलभ चिकित्सा सुविधा प्रदान किये जाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का प्रारम्भ किया जा रहा है जिसके लिये 100 करोड़ रूपये की धनराशि की व्यवस्था प्रस्तावित है। महिला श्रमिकों को विभिन्न रोजगारों में समान अवसरों में वृद्धि, कार्य की प्रकृति, कार्य के घण्टेपुरूषों के समान पारिश्रमिक दिलाये जाने के लिए एक सलाहकार समिति का ठन किया गया है । पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा हेतु प्रदेश के 18 मण्डलों में एक-एक अटल आवासीय विद्यालय की स्थापना की जा रही है जिसमें कक्षा 6 से 12 तक निःशुल्क गुणवत्तापरक एवं उद्देश्यपरक आवासीय शिक्षा प्रदान की जायेगी। योजना हेतु 270 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। कामगारों/श्रमिकों की सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा तथा सर्वांगीण विकास के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उत्तर प्रदेश कामगार एवं श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग का गठन

किया गया है ।

 

 

गोवंश संरक्षण एवं निराश्रित पशुओं की देखभाल

 

 

गोवंश संरक्षण एवं बेसहारा पशुओं के भरण-पोषण हेतु प्रदेश में 5206 गो-आश्रय स्थलों का संचालन किया जा रहा है जिनमें संरक्षित गोवंश की संख्या 5 लाख 58 हजार है। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थलों की संख्या 4487 है। प्रदेश के निराश्रित गोवंश हेतु 187 वृहद गो-संरक्षण केन्द्र तथा गोवंश वन्य विहार का निर्माण कराया जाना लक्षित है जिसके सापेक्ष 118 केन्द्रों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। मुख्यमंत्री निराश्रित एवं बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के अन्तर्गत 74 हजार से अधिक गोवंश इच्छुक गोपालकों की सुपुर्दगी में दिये गये हैं। प्रदेश की सभी न्याय पंचायतों में गौ आश्रय स्थलों का विकास किये जाने की योजना है। इस हेतु स्थानीय सहभागिता तथा स्वैच्छिक संगठनों की सहभागिता भी प्राप्त की जायेगी। बीड इम्प्रूवमेन्ट के कार्यक्रम को भी मजबूती से आगे बढ़ाया जायेगा। नगर विकास विभाग, नियोजन विभाग, पंचायती राज विभाग द्वारा आवश्यक सहयोग एवं मण्डी परिषद की वार्षिक आय की प्राप्तियों से 03 प्रतिशत धनराशि भी गोवंश को आश्रय प्रदान करने वाली संस्थाओं को भी दिया जा रहा है। बुन्देखण्ड क्षेत्र में निराश्रित गोवंश की समस्या के निराकरण हेतु बुन्देलखण्ड के प्रत्येक जनपद में 05-05 गो-आश्रय केन्द्र स्थापित हैं। प्रदेश में पहली बार गोशालाओं का ऑन लाईन पंजीकरण किया जा रहा है। अद्यतन 545 गौशालाएं पंजीकृत हैं। प्रदेश में स्वदेशी पशुओं के संरक्षण एवं सम्वर्द्धन हेतु जनपद वाराणसी में गोकुल ग्राम की स्थापना की गयी है। वित्तीय वर्ष 2020-2021 में आय–व्ययक में प्राविधानित धनराशि 200 करोड़ रुपये के अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये निराश्रित पशुओं के भरण-पोषण हेतु निर्गत की गयी है। इसके अतिरिक्त 148 करोड़ रुपये आश्रय स्थलों के निर्माण हेतु प्राविधानित है।

 

जनस्वास्थ्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य

 

प्रदेश के हर व्यक्ति को बेहतर चिकित्सा सुविधा सुलभ कराने की दिशा में हमारी सरकार द्वारा निरन्तर कार्य किया जा रहा है। वायरस जनित संक्रामक रोगों के निदान एवं उपचार की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि रिकॉर्ड टाइम में की गई है।

• प्रदेश में कोविड-19 की रोकथाम एवं संक्रमण को रोकने हेतु

युद्ध स्तर पर कार्यवाही की गयी है । प्रदेश में दिनाँक 20 फरवरी, 2021 तक 06 लाख 03 हजार कोरोना संक्रमित रोगी चिन्हित हुए जिनमें से 05 लाख 91 हजार कोविड-19 पॉजिटिव रोगी ठीक हुये हैं । उत्तर प्रदेश में रिकवरी दर 98 प्रतिशत है।

प्रदेश के समस्त जनपदों में डेडिकेटेड लेवल-2 उपचार केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है जहां आवश्यकतानुसार कोविड पाजिटिव रोगियों का वेन्टीलेटर एवं एच०एफ०एन०सी० सुविधा

के साथ उपचार किया जा रहा है।

• कोविड-19 की रोकथाम हेतु टीकाकरण योजना के लिये 50 रोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन हेतु 5395 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। आयुष्मान भारत योजना के लिये 1300 करोड़ रुपये की व्यवस्था का प्रस्ताव है। आयुष्मान भारत-मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना हेतु 142 करोड़ रुपये की व्यवस्था का प्रस्ताव है। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के लिये 320 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। प्राथमिक स्वास्थ्य परिचर्या सुविधाओं के लिये डायग्नॉस्टिक बुनियादी ढाँचा सृजित किये जाने हेतु 1073 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। शहरी स्वास्थ्य एवं आरोग्य केन्द्रों हेतु 425 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। राज्यषधि नियंत्रण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिये 54 करोड़ रुपये तथा प्रदेश के 12 मण्डलों में खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं एवं मण्डलीय कार्यालयों के निर्माण हेतु 50 करोड़

रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। • ब्लॉक स्तर पर लोक स्वास्थ्य इकाईयों की स्थापना हेतु

77 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। चिकित्सा शिक्षा

प्रदेश में उच्च कोटि की गुणवत्तापूर्ण एवं विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा का विकास किये जाने की दिशा में हमारी सरकार द्वारा उल्लेखनीय प्रगति की गई है। जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों से उच्चीकृत किया जा रहा है। प्रदेश के 16 असेवित जनपदों में पी०पी०पी० मोड में मेडिकल कॉलेजों की स्थापना करायी जा रही है। हमारा लक्ष्य है कि प्रदेश का कोई भी मरीज इलाज के लिये प्रदेश से बाहर जाने के लिये विवश न हो। सभी प्रकार का इलाज प्रदेश में उपलब्ध हो।

प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के अन्तर्गत संजय गाँधी पी0जी0आई0, लखनऊ में लेवल-3 की बायो सेफ्टी लैब की स्थापना की जायेगी। इसके अतिरिक्त प्रदेश के 45 जनपदों में राजकीय मेडिकल कॉलेजों. संस्थानों तथा चिकित्सा विश्वविद्यालयों में क्रिटिकल केयर हास्पिटल ब्लॉक की भी स्थापना की जायेगी। वर्ष 2017 तक मात्र 15 जिलों में राजकीय मेडिकल कालेज/ संस्थान संचालित थे। इसके अतिरिक्त 30 अन्य जिलों में मेडिकल कालेज/ संस्थान का निर्माण कार्य प्रगति पर है। • वर्ष 2017 से सरकारी क्षेत्र के अन्तर्गत 07 नये मेडिकल कॉलेज क्रियाशील किये गये हैं। 09 मेडिकल कालेजों का निर्माण प्रगति पर है जिनमें शैक्षणिक वर्ष 2021-2022 से एम०बी०बी०एस० पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया जाना है। प्रदेश में 13 जनपदों- बिजनौर, कुशीनगर, सुल्तानपुर, गोण्डा , ललितपुर, लखीमपुर-खीरी, चन्दौली, बुलन्दशहर, सोनभद्र, पीलीभीत, औरैया, कानपुर देहात तथा कौशाम्बी में निर्माणाधीन नये मेडिकल कॉलेजों के लिये 1950 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। प्रदेश के 16 असेवित जनपदों में पी०पी०पी० मोड में मेडिकल कॉलेज संचालित कराये जाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। योजना हेतु 48 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के लिये 23 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। एटा, हरदोई, प्रतापगढ़, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, गाजीपुर एवं मीरजापुर में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों में जुलाई, 2021 से शिक्षण सत्र प्रारम्भ किये जाने का लक्ष्य है। इन मेडिकल कॉलेजों हेतु 960 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था का प्रस्ताव है। अमेठी एवं बलरामपुर में नये मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु 175 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। • मा0 अटल बिहारी बाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ की स्थापना हेतु 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। प्रदेश की निर्धन आबादी की असाध्य रोगों की चिकित्सा सुविधा मुहैया कराये जाने हेतु 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित

 

 

प्रदेश में उत्कृष्ट चिकित्सा शिक्षा की दिशा में उत्तर प्रदेश राज्य में 02 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) क्रमशः गोरखपुर एवं रायबरेली में स्थापित कर आउटडोर सेवायें प्रारम्भ की जा चुकी है तथा शैक्षणिक सत्र 2019-2020 में एम्स, गोरखपुर में 100 छात्र तथा एम्स, रायबरेली में 100 छात्रों को प्रवेश एम०बी०बी०एस० पाठ्यक्रम का पठन-पाठन भी प्रारम्भ कर दिया गया है। के०जी०एम०यू० के अधीन लखनऊ में इंस्टीटयूट ऑफ वायरोलॉजी एण्ड इन्फेक्शस डिजीजेज के अन्तर्गत बायो सेफ्टी लेवल-4 लैब की स्थापना लक्षित है जो उत्तर भारत में अग्रणी लैब होगी।

के०जी०एम०यू०,लखनऊ, राजकीय मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज तथा राजकीय मेडिकल कॉलेज, मेरठ में डायबिटिक रेटिनोपैथी उपचार सेन्टर की स्थापना करायी जायेगी। प्रदेश में डायबिटिज रोगियों की संख्या में वृद्धि को देखते हुये एस०जी०पी०जी0आई0, लखनऊ में उन्नत मधुमेह केन्द्र की स्थापना कराये जाने का निर्णय लिया गया है।

 

आयुष


उत्तर प्रदेश सरकार आयुष विभाग के माध्यम से प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी जनता को आयुर्वेदिक, यूनानी एवं होम्योपैथिक चिकित्सा सेवा उपलब्ध करवाने हेतु सतत जागरूक एवं प्रयासरत है एवं इसी दिशा में वर्तमान सरकार द्वारा प्राथमिकता के आधार पर उक्त चिकित्सा पद्धतियों को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रदेश के विभिन्न जनपदों में वर्तमान में 2104 आयुर्वेदिक, 254 यूनानी एवं 1576 होम्योपैथिक चिकित्सालयों के साथ ही 8 आयुर्वेदिक कालेज एवं उनसे सम्बद्ध चिकित्सालय, 02 यूनानी कालेज एवं उससे सम्बद्ध चिकित्सालय तथा 09 होम्योपैथिक कालेज एवं उनसे सम्बद्ध चिकित्सालय हैं। आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सालयों में प्रमाणित एवं गुणकारी औषधियों की आपूर्ति की व्यवस्था हेतु प्रदेश में 02 राजकीय औषधि निर्माणशालाएं लखनऊ एवं पीलीभीत में कार्यरत हैं जिनको सुदृढ़ करते हुये उत्पादन क्षमता में वृद्धि किये जाने का लक्ष्य है।

 

स्वच्छता


स्वच्छता सभ्य, शिष्ट एवं स्वस्थ सामाजिक जीवन का आधार है। माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा दिये गये स्वच्छ भारत के विजन के अनुरूप हमारी सरकार द्वारा प्रदेश में स्वच्छता के सभी आयामों पर निरंतर कार्य किया गया है। इसमें व्यक्तिगत एवं सामुदायिक जल प्रवाहित शौचालयों का निर्माण, सीवरेज एवं जल निकासी, सॉलिड एवं लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट के साथ-साथ ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पाइप पेयजल की व्यवस्था सम्मिलित है।

• गाँवों में पाइप पेयजल की आपूर्ति की व्यवस्था जल जीवन मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत करायी जा रही है। जल जीमिशन का प्राथमिक लक्ष्य वर्ष 2024 तक सभी घरों तक जल संयोजन पहुँचाना है। योजना हेतु 15,000 करोड़ की व्यवस्था प्रस्तावित है। केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-2022 से जल जीवन मिशन (शहरी) प्रारंभ की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत शहरी स्थानीय निकायों में घरेलू नल कनेक्शन के साथ सर्व सुलभ जल आपूर्ति और अमृत शहरों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था की जायेगी। इस योजना की अवधि 05 वर्ष रखी गयी है। केंद्र सरकार की इस योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के 734 नगर निकायों में सर्व सुलभ जल आपूर्ति एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के कार्य कराये जायेंगे। योजना हेतु 2000 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। प्रदेश के जे0ई0/ए0ई0एस0 प्रभावित बस्ती एवं गोरखपुर मण्डल तथा बुंदेलखण्ड क्षेत्र के बांदा एवं चित्रकूट मण्डल के सरकारी प्रामिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने हेतु मुख्यमंत्री आर0ओ0 पेयजल योजना संचालित है। इस योजना के अंतर्गत 14 जनपदों में 28 हजार से अधिक प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 25-25 लीटर भण्डारण क्षमता के संयंत्र स्थापित किये जा रहे हैं। योजना हेतु 22 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। स्वच्छ भात मिन (ग्रामीण) योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2021-2022 में 12 लाख 13 हजार व्यक्तिगत शौचालय तथा 98 हजार सामुदायिक शौचालयों के निर्माण हेतु 2031 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। स्वच्छ भारत मिन (शहरी) हेतु 1400 करोड़ रुपये की व्यवस्था

का प्रस्ताव है। • प्रदेश के 651 नगरीय निकाय क्यासी0आई0 से प्रमाणित

ओ०डी०एफ० हैं। व्यक्तिगत शौचालयों के लिये निर्धारित लक्ष्य 8 लाख 88 हजार को शत-प्रतिशत प्राप्त कर लिया गया है। प्रदेश के नगरीय निकायों द्वारा 11,909 वार्डों में डोर-टू-डोर अपशिष्ट संग्रहण का कार्य किया जा रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण में

सतत् रूप से रैकिंग में सुधार के साथ वर्ष 2020 में प्रदेश में

पूरे देश में 7 वें स्थान पर है।

• नगरीय सीवरेज एवं जल निकासी की व्यवस्था हेतु 175 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है।

 

औद्योगिक विकास एवं अवस्थापना

 

ईज ऑफ इइंग बिजनेस एवं रोजगार सृजन हमारी सरकार की

सर्वोच्च प्राथमिकता है। ईज ऑफ डुइंग बिजनेस रैंकिंग में पिछले तीन वर्षों में उत्तर प्रदेश पूरे देमें द्वितीय स्थान पर आ गया है। राज्य सरकार की सुनियोजित शासन प्रणाली तथा वर्ष 2017 में औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति की घोषणा के साथ-साथ 20 क्षेत्र विशिष्ट नीतियों के क्रियान्वयन से प्रदेश में उद्यमशीलता, नवाचार तथा मेक-इन-यूपी को बढ़ावा मिला है। इनमें फार्मास्युटिकल, रक्षा एवं एयरोस्पेस, सौर ऊर्जा खाद्य-प्रसंस्करण, दुग्ध विकास, लॉजिस्टिक्स, जैव ईंधन आदि क्षेत्र सम्मिलित हैं। पूर्वान्चल एक्सप्रेस वे के निर्माण का कार्य निर्धारित लक्ष्य के अनुसार गतिमान है। माह नवम्बर, 2020 तक 65 प्रतिशत से अधिक प्रगति प्राप्त कर ली गयी है। परियोजना समय से पूर्ण की जायेगी। परियोजना हेतु 1107 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण की प्रगति निर्धारित लक्ष्य के अनुसार गतिमान है। माह नवम्बर, 2020 तक 26 प्रतिशत से अधिक प्रगति प्राप्त कर ली गयी है। परियोजना के लिये 1492 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। गोखरपुर लिंक एक्सप्रेस-वे निर्माण की प्रगति निर्धारित लक्ष्य के अनुसार गतिमान है। माह नवम्बर, 2020 तक 5 प्रतिशत से अधिक प्रगति प्राप्त कर ली गयी है। परियोजना हेतु 860 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण हेतु भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही प्रगतिमान है। निर्माण कार्य शीघ्र प्रारम्भ कराया जायेगा। गंगा एक्सप्रेस-वे पूर्णतः नियंत्रित (06 लेन एक्सपेण्डबेल टू 08 लेन) एक्सप्रे-वे की कुल लम्बाई 594 किलोमीटर होगी। परियोजना के लिये भूमि ग्रहण हेतु 7200 करोड़ रुपये तथा निर्माण कार्य हेतु 489 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है

 

लोक निर्माण


प्रदेश की प्रगति के लिये अच्छी सडकों का होना अत्यन्त आवश्यक है। हमारी सरकार द्वारा इस हेतु प्रदेश में राजमार्गों के निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण के कार्य प्राथमिकता के आधार पर कराये गये हैं।

वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिये लोक निर्माण विभाग के अधीन सड़कों और सेतुओं के निर्माण हेतु 12,441 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। सड़कों और सेतुओं के अनुरक्षण हेतु 4,135 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। ग्रामों एवं बसावटों को पक्के सम्पर्क मार्गों से जोड़ने हेतु विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत 695 करोड़ रुपये की बजट

व्यवस्था प्रस्तावित है।

विश्व बैंक सहायतित उत्तर प्रदेश कोर रोड नेटर्क परियोजना के अन्तर्गत मार्ग निर्माण हेतु 440 करोड़ रुपये तथा एशियन डेवलपमेन्ट बैंक सहायतित उ0प्र0 मुख्य जिला विकास परियोजना के अन्तर्गत मार्ग निर्माण हेतु 208 करोड़ रुपये की

बजट व्यवस्था प्रस्तावित है।

रेलवे उपरिगामी सेतुओं के निर्माण हेतु 1192 करोड़ रुपये कीव्यवस्था प्रस्तावित है।

 

विशेष क्षेत्र कार्यक्रम

 

• पूर्वांचल की विशेष योजनाओं के लिये 300 करोड़ रुपये की

व्यवस्था प्रस्तावित है।

बुन्देलखण्ड क्षेत्र की विशेष योजनाओं हेतु 210 करोड़ रुपये की

व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

सिंचाई एवं जल संसाधन


कृषि उत्पादों में वृद्धि के लिये वर्षपर्यन्त समुचित सिंचाई सुविधा का उपलब्ध रहना आवश्यक है। लम्बे समय से अधूरी पड़ी सिंचाई परियोजनाओं को भारत सरकार के सहयोग से पूरा करने के साथ ही राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से निरन्तर सिंचन क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य है। • प्रदेश में नहर प्रणालियों, राजकीय नलकूपों, पम्प नहरों,

लघु डाल नहरों एवं जलाशयों से लगभग 98 लाख 88 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। हमारी सरकार द्वारा विगत तीन वर्षों में 11 परियोजनाएं पूर्ण की जा चुकी हैं यथा-बाण सागर नहर परियोजना, पहाड़ी बाँध

परियोजना, जमरार बाँध परियोजना, पहुँच बाँध पुनरोद्धार परियोजना, गण्टा बाँध रेस्टोरेशन/ रिनोवेशन ऑफ एलावर्क परियोजना, पं0 दीनदयाल उपाध्याय पथरई बाँध परियोजना, लहचूरा बाँध परियोजना, मौदहा बाँध नहर प्रणाली की क्षमता की पुनर्स्थापना, रसिन बाँध परियोजना, लोअर राजघाट कैनाल के 20 से 30 किलोमीटर तक का नवीनीकरण कार्य तथा जाखलौन पम्प नहर के हेड रीच पर 2.50 मेगावॉट क्षमता के सोलर पावर प्लांट की स्थापना की परियोजना।

इन परियोजनाओं के पूर्ण होने के उपरान्त 2 लाख 21 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित हुई जिससे प्रदेश में 2 लाख 33 हजार किसान लाभान्वित हुये। वित्तीय वर्ष 2020-2021 में 09 परियोजनाओं को पूर्ण करने का लक्ष्य है यथा-अर्जुन सहायक परियोजना, सरयू नहर परियोजना, उ0प्र0 वॉटर रीस्ट्रक्चरिंग परियोजना, उमरहठ पम्प नहर परियोजना, लखेरी बॉध परियोजना. भवानी बाँध परियोजना. रतौली वीयर परियोजना, जखलौन पम्प कैनाल टॉप पर 3.42 मेगावॉट क्षमता की सोलर पावर प्लाण्ट की स्थापना तथा बण्डई बाँध परियोजना।

इन परियोजनाओं के पूर्ण होने से 16 लाख 41 हजार हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित होगी तथा 40 लाख 48 हजार कृषक लाभान्वित होंगे। वर्ष 2021-2022 में 08 परियोजनाओं को पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। मध्य गंगार परियोजना हेतु 1137 करोड़ रुपये, राजघाट नहर परियोजना हेतु 976 करोड़ रुपये, सरयू नहर परियोजना हेतु 610 करोड़ रुपये, पूर्वी गंगा नहर परियोजना हेतु 271 करोड़ रुपये तथा केबेतवा लिंक नहर परियोजना हेतु

104 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

नागरिक उड्डयन


राज्य सरकार की "उत्तर प्रदेश नागर विमानन प्रोत्साहन नीति" के अन्तर्गत रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के साथ-साथ नॉन-रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम उड़ानों के लिये प्रोत्साहन प्रदान किये जाने की व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार की इस नीति के परिणामस्वरूप विगत तीन वर्षों में उत्तर प्रदेश में ऑपरेशनल एयरपोर्ट्स की संख्या 4 से बढ़कर 7 हो गई है

 

जनपद अयोध्या में निर्माणाधीन एयरपोर्ट का नाम मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम हवाई अड्डा अयोध्या होगा। इस हेतु 101 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। जेवर में निर्माणाधीन एयरपोर्ट में हवाई पट्टियों की संख्या 02 से बढ़ाकर 06 करने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है। यह एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट के रूप में विकसित होगा। परियोजना हेतु 2000 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। कुशीनगएयरपोर्ट को केन्द्र सरकार द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट घोषित किया गया है। इस प्रकार राज्य में शीघ्र ही 4 अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट लखनऊ, वाराणसी, कुशीनगरगौतमबुद्धनगर में होंगे। भारत सरकार की रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम (उड़ान योजना) के अन्तर्गत प्रदेश के अलीगढ़, आजमगढ़, मुरादाबाद, श्रावस्ती, चित्रकूट तथा सोनभद्र (म्योरपुर) स्थित हवाई पट्टी हवाई सेवा हेत चयनित हुए है। अलीगढ़, आजमगढ़, मुरादाबाद व श्रावस्ती एयरपोर्ट का विकास लगभग पूर्ण हो गया है तथा चित्रकूट तथा

सोनभद्र एयरपोर्ट मार्च, 2021 तक पूर्ण हो जायेंगे ।

 

ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा


प्रदेश की जनता को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लिये तथा सुदूर इलाके तक उपभोक्ताओं को विद्युत संयोजन उपलब्ध कराने विशेषकर किसानों को सिंचाई हेतु विद्युत की उपलब्धता तथा ग्रामीण उपभोक्ताओं को पर्याप्त विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कराने के संकल्पों के प्रति प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। • उपभोक्ताओं की सुविधा के लिये विद्युत संयोजन सम्बन्धी सभी

सेवायें प्राप्त करने के लिये वेब आधारित केन्द्रीकृत प्रणाली का क्रियान्वयन कराया जा रहा है। इस प्रणाली में उपभोक्ता विभिन्न सेवायें ऑनलाइन प्राप्त कर सकता है। बिलिंग प्रणाली में सुधार करते हुये प्रोब के माध्यम से बिलिंग कराई जा रही है। इसमें बिलों को डाउन लोड किया जा सकता है। इस व्यवस्था में रीडिंग गलत होने या मनमानी रीडिंग होने की सम्भावना शून्य हो जाती है।

03 वर्षों में सौभाग्य एवं अन्य योजनाओं में प्रदेश में लगभग

1 करोड़ 24 लाख नये विद्युत संयोजन निर्गत कर समस्त 75 जनपदों को लक्ष्य के अनुरूप संतृप्त किया गया।

ग्रामीण क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुये 01 करोड़ 21 लाख 32 हजार मजरों का विद्युतीकरण किया गया है तथा कुल 01 करोड़ 38 लाख 01 हजार विद्युत कनेक्शन दिये गये हैं। दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (नवीन) के अन्तर्गत प्रदेश में कृषि एवं गैर कृषि विद्युत आपूर्ति के लिये माह अक्टूबर, 2020 तक 2053 के लक्ष्य के सापेक्ष 2049 अर्थात लगभग शत-प्रतिशत 11 के0वी0 पोषकों के पृथक्कीकरण का कार्य कराया जा चुका है। साथ ही, योजनान्तर्गत 100 सांसद आदर्श ग्रामों के विद्युतीकरण का शत-प्रतिशत लक्ष्य भी पूर्ण कर लिया गया है। प्रदेश में विगत तीन वर्षों में विद्युत आपूर्ति में भी रिकॉर्ड वृद्धि हुई है, गत वर्ष की 21,632 मेगावाट की पीक मांग के सापेक्ष चालू वित्तीय वर्ष में 23,867 मेगावाट पीक मांग की आपूर्ति की गयी। रोस्टर के अनुसार वर्तमान में शहरों तथा गावों में विद्युत आपूर्ति हेतु वर्ष 2020-2021 में लगभग 24,000 मेगावाट विद्युत की

उपलब्धता है जो मांग के अनुरूप पर्याप्त है। • विद्युत आपूर्ति में अभूतपूर्व सुधार लाते हुये वर्तमान में जिला मुख्यालयों पर 24 घन्टे, तहसील मुख्यालयों पर 21 घण्टे 30 मिनटगाँवों में 18 घन्टे विद्युत आपूर्ति का रोस्टर निर्धारित है तथा विद्युत आपूर्ति की जा रही है। वर्तमान में प्रदेश में सभी विधाओं की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 26,937 मेगावॉट है, जो कि 03 वर्ष पूर्व की क्षमता से लगभग 4000 मेगावॉट अधिक है। वर्तमान उत्पादन क्षमता को बढ़ाते हुये मांग के अनुरूप भविष्य में प्रदेशवासियों को समुचित विद्युत उपलब्ध कराने हेतु 8262 मेगावॉट उत्पादन क्षमता वृद्धि की विभिन्न परियोजनायें पूर्णता की प्रक्रिया में है, जिनका वर्ष 2020-21 से 2023-24 के मध्य आरम्भ होना प्रस्तावित है।

उक्त के अतिरिक्त लगभग 2812 मेगावाट की पुनर्नवीकरणीय परियोजनाओं के माध्यम से अतिरिक्त उत्पादन वृद्धि भी अनुमानित है। ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक मार्ग प्रकाश की सुविधा हेतु सोलर स्ट्रीट लाईट संयंत्रों की स्थापना की योजना क्रियान्वित की जा रही है। अब तक प्रदेश में लगभग 03 लाख सोलर स्ट्रीट लाईट संयंत्रों की स्थापना करायी जा चुकी है। गरीब ग्रामीण परिवारों के घरों पर प्रकाश, पंखे एवं मोबाईल चार्जिग की सुविधा हेतु 1 लाख 80 हजार सोलर पॉवर पैक संयंत्रों की स्थापना करायी गयी है।

प्रदेश के लघु एवं सीमान्त कृषकों को सिंचाई हेतु सोलर पम्प स्थापित कराये जा रहे हैं। प्रदेश के विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों में अब तक 3400 सोलर आर0ओ0 वाटर संयंत्रों की स्थापना

करायी गयी है।

सौर ऊर्जा नीति-2013 के अन्तर्गत 420 मेगावाट क्षमता की 24 सौर पावर परियोजनायें संचालित हैं।

 

आवास


आवास एक मूलभूत आवश्यकता है। प्रधानमंत्री जी का यह कहना है कि वर्ष 2022 तक सभी को आवास उपलब्ध हो जाये। हमारी सरकार ने इस दिशा में निरन्तर प्रयास करके जरूरतमंद लोगों को आवास उपलब्ध कराने का सिलसिला जारी रखा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के घटक अर्कोडेबल हाऊसिंग

इन पार्टनरशिप के अन्तर्गत वर्ष 2018 से वर्ष 2021 तक 4 लाख भवनों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित है जो सूडा द्वारा निर्मित कराये जाने वाले आवासों के अतिरिक्त होंगे। अयोध्या स्थित सूर्यकुण्ड के विकास सहित अयोध्या नगरी के सर्वांगीण विकास की योजना हेतु वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में 140 करोड़ रुपये की व्यवस्था का प्रस्ताव है। लखनऊ में राष्ट्रीय प्रेरणा स्थल के निर्माण हेतु 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। कानपुर मेट्रो रेल परियोजना की अनुमोदित लागत 11,076 करोड़ रूपये है। वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में परियोजना हेतु 597 करोड रूपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के प्राथमिक सेक्शन आई.आई.टी. कानपुर से मोतीझील पर ट्रायल रन प्रारम्भ करने की लक्षित तिथि 31 जुलाई, 2021 तथा रेवेन्यू ऑपरेशन प्रारम्भ करने की लक्षित तिथि 30 नवम्बर, 2021 है। आगरा मेट्रो रेल परियोजना की अनुमोदित लागत 8380 करोड़ रूपये है। वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में परियोजना हेतु 478 करोड़ रूपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। आगरा मेट्रो रेल परियोजना के प्राथमिक सेक्शन ताज ईस्ट गेट से जामा मस्जिद पर ट्रायल रन प्रारम्भ करने की लक्षित तिथि 31 जलाई, 2021 तथा रेवेन्यू ऑपरेशन प्रारम्भ करने की लक्षित तिथि 30 नवम्बर, 2021 है।

दिल्ली -गाजियाबाद-मेरठ आर.आर.टी.एस. कॉरिडोर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। परियोजना हेतु 1326 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

• वाराणसी, गोरखपुर व अन्य शहरों में मेट्रो रेल परियोजना हेतु

100 करोड़ रुपये की व्यवस्था का प्रस्ताव है।

 

नगर विकास


प्रदेश में नगरीकरण में निरन्तर वद्धि हो रही है। नगरीय क्षेत्रों के निरन्तर विस्तार तथा नगरीय जनसंख्या में लगातार वृद्धि के दृष्टिगत नगरों में मूलभूत सुविधायें तथा अवस्थापना विकास के कार्य प्राथमिकता के आधार पर कराये जा रहे हैं। दिनाँक 01 अप्रैल, 2021 को उत्तर प्रदेश में कुल 652 नगर निकाय थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 734 हो गई है। • प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अन्तर्गत कुल 16 लाख 03 हजार 500 आवासों की स्वीकृति भारत सरकार से प्राप्त हो चुकी है। उक्त के सापेक्ष 9 लाख 63 हजार 780 आवासों की ग्राउन्डिंग का कार्य प्रारम्भ हो चका है जिसमे से 5 लाख 41 हजार 660 आवास दिनाँक 01 जनवरी, 2021 तक पूर्ण हो चुके हैं। योजना हेतु 10,029 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित

अमृत कार्यक्रम के अन्तर्गत क्षमता निर्माण, सुधार कार्यान्वयन, जलापूर्ति, सीवरेज और सेप्टेज प्रबन्धन, वर्षा जल निकासी, शहरी परिवहन और हरित स्थल और पार्क शामिल है। अमृत मिशन की पहली प्राथमिकता जलापूर्ति और सीवरेज सेवाओं का सार्वभौमिक आच्छादन है। योजना हेतु 2200 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। प्रदेश के 10 शहर लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, सहारनपुर, बरेली, झाँसी, मुरादाबाद तथा अलीगढ़, स्मार्ट सिटी योजनान्तर्गत चयनित हुये हैं। योजना हेतु 2000 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। स्मार्ट सिटी योजनान्तर्गत केन्द्र सरकार द्वारा चयनित 10 नगर निगमों के उपरान्त शेष नगर निगमों-वाराणसी, मेरठ, गाजियाबाद, अयोध्या, फिरोजाबाद, गोरखपुर, मथुरा-वृन्दावन एवं शाहहाँपुर को राज्य स्मार्ट सिटी योजनान्तर्गत स्मार्ट एवं सेफ सिटी के रूप में विकसित किये जाने का निर्णय प्रदेश सरकार द्वारा लिया गया है। उक्त योजना की अवधि 05 वर्ष है। वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में योजना हेतु 175 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

आवारा पशुओं के पुनर्वास हेतु संचालित “कान्हा गौशाला एवं बेसहारा पशु आश्रय योजना हेतु 80 करोड़ रुपये की व्यवस्था

प्रस्तावित है। • शहीदों की स्मृति में पार्क/ प्रदर्शनी स्थल/सभागार के निर्माण

हेतु 15 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। नियोजन • बुन्देलखण्ड क्षेत्र की विशेष योजनाओं के लिये 10 करोड़ रुपये

की व्यवस्था प्रस्तावित है।

त्वरित आर्थिक विकास योजना का उददेश्य प्रदेश में विकास

कायों को त्वरित गति से कार्यान्वित करना है, जिसमें मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास किया जाना सम्मिलित है। इस हेतु 2500 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है।

मुख्यमंत्री समग्र सम्पदा विकास योजना हेतु 1000 करोड़ रुपये

की व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

ग्राम्य विकास


भारत को ग्रामों का देश कहा जाता रहा है। दुनिया के अनेक विचारकों ने भारतीय ग्राम्य इकाई की सभ्यता व सौहार्द की प्रशंसा की है। ग्रामों को हर दृष्टि से विकसित करने तथा सभी मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराना हमारा संकल्प है। • “प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष

2021-2022 में 6 लाख आवासों के निर्माण का लक्ष्य है। योजना हेतु 7000 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। "मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण" के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2018-2019 में 16,700 लाभार्थियों तथा वित्तीय वर्ष 2019-2020 में 34.040 लाभार्थियों, इस प्रकार 50,740 लाभार्थियों को अब तक निःशुल्क आवास से लाभान्वित कराया जा चुका है। वित्तीय वर्ष 2020-2021 में 30,250 आवासों का निर्माण किया जाना है। वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में योजना हेतु 369 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2021-2022 में 35 करोड मानव दिवस का रोजगार सृजन का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 5548 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-3 के बैच-1 के अन्तर्गत 8847 किलोमीटर के कार्य का प्रस्ताव भारत सरकार को स्वीकति हेतु प्रेषित किया गया है। स्वीकृति की प्रत्याशा में वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए 5000 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था

प्रस्तावित है।

 

पंचायती राज


पंचायतें प्राचीन समाज व्यवस्था का आधार रही हैं। परस्पर सम्पर्क व विचार-विमर्श का केन्द्र रही हैं। एक समय पंचायत स्तर पर ही सभी प्रकार के झगड़े सुलझा लिये जाते थे। पंचायतों के विकास के लिये हमारी सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। • प्रत्येक न्याय पंचायत में 02 चंद्रशेखर आजाद ग्रामीण विकास

सचिवालय की स्थापना के लिये 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित किये जाने हेतु 25 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। प्रदेश की ग्राम पंचायतों में बहुउददेशीय पंचायत भवनों के निर्माण हेतु 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान योजना के अंतर्गत पंचायतों की क्षमता सम्वर्द्धन, प्रशिक्षण एवं पंचायतों में संरचनात्मक ढाँचे के निर्माण हेतु 653 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। गाँवों में ई-गवर्नेस के विस्तार हेतु डॉ0 रामनोहर लोहिया पंचायत सशक्तिकरण योजना के लिये 04 करोड़ रुपये की

व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

 

कृषि


ऋषि और कृषि प्राचीन भारतीय समाज व्यवस्था के दो अंग रहे हैं। ऋषि मार्गदर्शक थे और कृषि जीविका तथा समृद्धि का आधार थी। कृषि विकास के अभाव में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे नहीं बढ़ा जा सकता।

प्रदेश में कुल प्रतिवेदित क्षेत्रफल 242 लाख हेक्टेयर है जिससे 165 लाख हेक्टेयर में खेती की जाती है। कृषि क्षेत्र की लक्षित विकास दर 5.1 प्रतिशत प्राप्त करने हेतु वर्ष 2021-2022 में खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 644 लाख मीट्रिक टन एवं तिलहन उत्पादन का लक्ष्य 13 लाख मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-3 के बैच-1 के अन्तर्गत 8847 किलोमीटर के कार्य का प्रस्ताव भारत सरकार को स्वीकति हेतु प्रेषित किया गया है। स्वीकृति की प्रत्याशा में वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए 5000 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था

प्रस्तावित है।

 

• प्रदेश में वर्ष 2020-2021 में खरीफ उत्पादन का लक्ष्य 223 लाख मीट्रिक टन, रबी का लक्ष्य 417 लाख मीट्रिक टन एवं तिलहन का लक्ष्य 12 लाख मीट्रिक टन निर्धारित है। वर्ष 2020-2021 में बीज वितरण के 61 लाख कुन्तल के लक्ष्य के सापेक्ष वर्ष 2021-2022 में 62 लाख 50 हजार कुन्तल बीजों के वितरण का लक्ष्य प्रस्तावित है। प्रदेश सरकार द्वारा कृषकों को पर्याप्त मात्रा में उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करायी जा रही है एवं प्रदेश में उर्वरकों की

कोई कमी नहीं है

 

गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग

 

गन्ने की खेती और चीनी मिलें प्रदेश की अर्थव्यवस्था और

ग्रामीण विकास की प्रमख धरी हैं और यह राज्य, देश का सबसे बड़ा गन्ना एवं चीनी उत्पादक राज्य है। चीनी उद्योग, उत्तर प्रदेश का कृषि आधारित महत्वपूर्ण उद्योग है तथा प्रदेश के 45 लाख गन्ना आपूर्तिकर्ता किसानों के परिवार की आजीविका

का मुख्य आधार है। • पेराई सत्र 2019-2020 में प्रदेश में 26 लाख 79 हजार हेक्टेयर

में गन्ने की खेती की गई थी तथा इस सत्र में संचालित 119 चीनी मिलों द्वारा 1118 लाख टन गन्ने की पेराई कर 126 लाख 37 हजार टन चीनी का उत्पादन किया गया। वर्तमान पेराई सत्र 2020-2021 में 119 चीनी मिलें संचालित हैं। इस सत्र में प्रदेश का गन्ना क्षेत्रफल 27 लाख 40 हजार हेक्टेयर है जिससे चीनी का उत्पादन 125 लाख टन से अधिक होने का अनुमान है। निगम क्षेत्र की पूर्वांचल में स्थित बन्द पड़ी चीनी मिलों पिपराइच एवं मुण्डेरवा के स्थान पर 5,000 टी.सी.डी. की नई चीनी मिलें और 27 मेगावॉट क्षमता का को-जन संयंत्र स्थापित किया गया। पिपराइच चीनी मिल से 120 किलोलीटर प्रतिदिन क्षमता का आसवनी भी स्थापित की जा रही है जो दिसम्बर, 2021 में शुरू होना सम्भावित है। उक्त आसवनी में सीधे गन्ने के रस से एथनॉल बनाने की सुविधा होगी। पिपराइच मिल गन्ने के रस से सीधे एथेनॉल बनाने वाली उत्तर भारत की पहली चीनी मिल होगी। किसानों की गन्ना आपूर्ति समस्या के दृष्टिगत चीनी मिल रमाला की पेराई क्षमता 2,750 से बढ़ाकर 5,000 टी.सी.डी. की गई तथा इसके साथ 27 मेगावॉट को-जेन संयंत्र लगाया गया है।

• निगम क्षेत्र की मोहिउद्दीनपुर-मेरठ चीनी मिल की पेराई क्षमता

2500 टी.सी.डी. से बढ़ाकर 3500 टी.सी.डी. की गई जिसे 5000 टी.सी.डी. तक बढ़ाया जा सकता है। इससे लगभग 1,00,000 किसानों को गन्ना आपूर्ति में सुविधा होगी तथा उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र की 11 चीनी मिलों शामली, ऊन, करीमगंज, बिलारी, हरियावां, निगोही, अगवानपुर, टिकौला, वीनस, मोतीनगर एवं बिसवां की कुल 20,600 टी.सी.डी. की पेराई क्षमता का विस्तार किया गया है जिससे इन मिल क्षेत्रों के

गन्ना किसान लाभान्वित होंगे।

 

 

कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान

 

राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में कृषि अनुसंधान के सुदृढ़ीकरण हेतु प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों के अन्तर्गत सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स की स्थापना की जा रही है। इसी क्रम में राज्य सरकार द्वारा कृषि विश्वविद्यालय, अयोध्या के अन्तर्गत धान पर, कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर के अन्तर्गत गेहूँ एवं सब्जी पर, कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ के अन्तर्गत बायो तकनीकी के प्रयोग से बासमती धान के फसल सुधार पर, कृषि विश्वविद्यालय, बाँदा के अन्तर्गत शुष्क खेती पर तथा शुआट्स कृषि विश्वविद्यालय, प्रयागराज के अन्तर्गत छोटे एवं मध्यम कृषि यंत्रों पर अनुसंधान हेतु सेटर ऑफ एक्सीलेन्स की स्थापना की जा रही है।

• प्रदेश में कषि की नवीनतम जानकारी के प्रचार-प्रसार हेतु 20 नवीन कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना किये जाने का निर्णय लिया गया है जिसमें से 17 कृषि विज्ञान केन्द्रों का संचालन प्रारम्भ हो गया है। शेष 03 कृषि विज्ञान केन्द्रों को भूमि हस्तान्तरित / संचालन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

 


दुग्ध विकास

 

•विश्व में भारत सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश है

तथा देश में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश प्रथम स्थान पर है।

• वर्तमान में सहकारी क्षेत्र के अन्तर्गत 20 दुग्ध संघों के माध्यम से

दुग्धशाला विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में प्रदेश का दुग्ध उत्पादन 30,518 हजार टन रहा है व प्रति दिन प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता 371 ग्राम रहा । दुग्धशाला विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2019-2020 में 8049 कार्यरत सहकारी दुग्ध समितियों के माध्यम से 3 लाख 32 हजार किग्रा0 प्रतिदिन दूध का उपार्जन कर 1 लाख 97 हजार लीटर प्रतिदिन नगरीय दुग्ध विक्री किया गया। वर्ष

योजना के उपघटक पर ड्रॉप मोर-क्रॉप माइक्रोइरीगेशन, बुन्देलखण्ड एवं विंध्य क्षेत्र में औद्यानिक विकास, गुणवत्ता युक्त पान उत्पादन प्रोत्साहन, उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना, सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स फॉर फ्रट एवं वेजीटेबल तथा खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण एवं विधायन आदि महत्वपूर्ण कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। • प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना हेतु 400 करोड़

रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति, 2017 के क्रियान्वयन हेतु 40 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

 

सहकारिता


• रासायनिक उर्वरकों के अग्रिम भण्डारण हेतु 150 करोड़ रुपये

की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। किसानों को नाबार्ड से रियायती दरों पर ऋण उपलब्ध कराये जाने हेतु ब्याज अनुदान योजना के अन्तर्गत 400 करोड़ रुपये

की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। • सहकारी समितियों के समन्वित विकास हेतु संचालित

एकीकृत सहकारी विकास योजना के लिये 10 करोड़ रुपये की

बजट व्यवस्था का प्रस्ताव है।

 

 

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग


प्रदेश में रोजगार तथा स्वरोजगार के अवसर सृजित किये जाने में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों का विशेष योगदान है। हमारी सरकार द्वारा इन उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। महिला उद्यमियों की सहभागिता बढाये जाने तथा प्रवासी श्रमिकों के लिये क्रेडिट आधारित क्लस्टर सुविधायें विकसित किये जाने पर विशेष बल दिया जायेगा। • रोजगार के अवसर सजित करने के उददेश्य से प्रदेश में

एक जनपद-एक उत्पाद (ओ0डी0ओ0पी0) योजना संचालित है। योजना हेतु 250 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

ओ0डी0ओ0पी0 योजनान्तर्गत दिनाँक 14 मई, 2020, 26 जून, 2020, 07अगस्त, 2020 एवं 03 दिसम्बर, 2020 को चार आन-लाईन मेलों का आयोजन किया गया । इन ऑन-लाईन मेलों के माध्यम से 10 लाख से अधिक लाभार्थियों को लगभग 30 हजार करोड़ के ऋण का वितरण कराया गया ।

कोविड-19 महामारी के चलते दिनाँक 19 अक्टूबर, 2020 से 23 अक्टूबर, 2020 तक ओ0डी0ओ0पी0 वर्चुअल मेला फेयर का आयोजन किया गया । इस वर्चुअल फेयर में 35 देशों के क्रेता तथा देश के लगभग 1000 क्रेताओं द्वारा प्रतिभाग किया गया। उ0प्र0 स्टेट स्पिनिंग कम्पनी की बन्द पड़ी कताई मिलों की परिसम्पत्तियों को पुनर्जीवित कर पी0पी0पी0 मोड में औद्योगिक पार्क/ आस्थान/ क्लस्टर स्थापित कराये जाने का निर्णय लिया है। इस हेतु 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। प्रदेश के शिक्षित युवा बेरोजगारों को अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना संचालित है। वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में योजना हेतु 100 करोड़ रूपये का बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के पारम्परिक कारीगरों हेतु विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के लिये 30 करोड़ रुपये की

बजट व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

खादी एवं ग्रामोद्योग

 

ग्रामीण क्षेत्र के बेरोजगारों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध

कराने के उद्देश्य से प्रदेश में खादी एवं ग्रामोद्योग क्षेत्र में स्वरोजगार की विभिन्न योजनायें संचालित की गयी हैं। इन योजनाओं में से मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजनान्तर्गत सामान्य महिला एवं आरक्षित वर्ग के लाभार्थियों को 10 लाख रुपये तक व्याज रहित ऋण तथा सामान्य वर्ग के पुरुष लाभार्थियों को 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया जाता है। व्यवहारिक, कौशल सुधार एवं अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अन्तर्गत उद्यमियों को प्रशिक्षण केन्द्रों के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। पं0 दीनदयाल उपाध्याय खादी विपणन विकास सहायता योजनान्तर्गत 34 प्रतिशत खादी कामगारों को 33 प्रतिशत विपणन विकास हेतु तथा 33 प्रतिशत खादी संस्थाओं को उत्पादन हेतु सहायता प्रदान की जाती है। प्रदेश में माटीकला की पराम्परागत कला एवं कारीगरों को संरक्षित/संवर्धित करते हुये नवाचार के माध्यम से अधिकाधिक शिल्पियों/कारीगरों को रोजगार से जोड़ने हेतु वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में 10 करोड़ रूपये की व्यवस्था प्रस्तावित

 

 

हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग

 

कृषि क्षेत्र के बाद हथकरघा उद्योग प्रदेश का सर्वाधिक रोजगार

उपलब्ध कराने वाला विकेन्द्रीकृत कुटीर उद्योग है। प्रदेश में लगभग 2 लाख हथकरघा बुनकर एवं लगभग 1 लाख 10 हजार हथकरघे हैं। प्रदेश में 2 लाख 60 हजार पाँवरलूमों पर 5 लाख 50 हजार पॉवरलूम बुनकर अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2021-2022 में वस्त्रोद्योग के क्षेत्र में 25,000 रोजगार सृजन का लक्ष्य है। हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहन एवं सम्मान प्रदान करने हेतु सन्त कबीर राज्य हथकरघा पुरस्कार योजना संचालित है। पावरलूम बुनकरों को राज्य सरकार द्वारा रियायती दर पर विद्युत

आपूर्ति करायी जा रही है।

 

आई.टी. एवं इलेक्ट्रॉनिक्स


तकनीक और आधुनिक विज्ञान ज्ञान का प्रमुख तत्व है। इसके अभाव में हम विकसित दुनिया के साथ नहीं चल सकते हैं। अतः तकनीक का हर स्तर पर उपयोग आवश्यक है।

सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वोच्च प्राथमिकता वाले उद्योगों में से एक है। हमारी सरकार द्वारा "उ0प्र0 इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति-2017* तथा "उ0प्र0 सूचना प्रौद्योगिक एवं स्टार्टअप नीति-2017* प्रख्यापित की गयी। "उ0प्र0 इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति-2017* में नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र को इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग जोन" घोषित किया गया। 5 वर्षों में 20,000 करोड रूपये के निवेश के लक्ष्य को 3 साल में ही अर्जित कर लिया गया । उक्त नीति की अपूर्व सफलता को देखते हुये सरकार द्वारा नई "उ0प्र0 इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति-2020* प्रख्यापित की गयी है जिसमें इलेक्ट्रानिक्स उद्योग के प्रदेश के सभी क्षेत्रों में एक समान विकास के लिए नई नीति से सम्पूर्ण राज्य को आच्छादित किया गया है । इस नीति में अगले पांच वर्षों में 40,000 व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा गया है। यमुना एक्सप्रेस-वे में जेवर एयरपोर्ट के समीप एक इलेक्ट्रॉनिक सिटी की स्थापना, बुन्देलखण्ड में रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।

 

उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में लगभग रूपये 200 करोड़ के निवेश तथा लगभग 15,000 रोजगार सम्भावनाओं युक्त आई0टी0 पार्क्स की स्थापना सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इण्डिया के सहयोग से की जा रही है। लखनऊ में एयरपोर्ट के सामने नादरगंज में 40 एकड़ क्षेत्रफल में पी0पी0पी0 मॉडल पर "अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी कॉम्प्लेक्स" का निर्माण प्रस्तावित है जिसमें देश का सबसे बड़ा इन्क्यूबेशन

सेन्टर बनाये जाने हेतु सहमति हो गयी है

 

बेसिक शिक्षा

 

शिक्षा मनुष्य निर्माण की पहली शर्त है । यह अबोध बच्चों को सबोध बनाती है। शिक्षा के अभाव में आदर्श मनुष्य की कल्पना नहीं की जा सकती है। बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता बड़ी चुनौती रही है। • प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमिक लक्ष्य की प्राप्ति हेतु हमारी

सरकार संकल्पबद्ध है। 06 से 14 वर्ष के बच्चों को कक्षा 01 से 08 तक निःशुल्क शिक्षा सुलभ कराने हेतु अनेक योजनाएं तथा कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। प्रदेश में बेसिक शिक्षा के अधीन शासकीय एवं अशासकीय लगभग 2 लाख 54 हजार 634 विद्यालय संचालित हैं जिनमें प्रदेश के सभी बच्चों के लिये 01 से 03 किलोमीटर की परिधि में विद्यालय की सुविधा उपलब्ध है। हमारा संकल्प है कि सभी बच्चे "खूब पढ़ें आगे बढ़ें साथ ही कक्षा 01 से 08 तक की पढाई अवश्य पूर्ण करें।

• शैक्षिक सत्र 2020-2021 में 1 लाख 34 हजार 418 परिषदीय

प्राथमिक/ उच्च प्राथमिक विद्यालयों में स्कूल चलो अभियान के अन्तर्गत 1 लाख 60 हजार करोड़ बच्चों को प्रवेश दिलाया गया है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019-2020 में बच्चों के चिन्हीकरण, पंजीकरण एवं नामांकन हेत नवीन कार्यक्रम "शारदा' संचालित किया है। यह कार्यक्रम दो चरणों में पूर्ण किया जायेगा। जनपद गोरखपुर के वनटांगिया गावों में 05 प्राथमिक एवं 02 उच्च प्राथमिक विद्यालयों एवं महराजगंज के वनटांगिया गाँवों में 08 प्राथमिक एवं 04 उच्च प्राथमिक विद्यालयों का निर्माण कराया जा रहा है। कक्षा 01 से 08 तक के सभी बच्चों को प्रतिवर्ष निःशुल्क यूनिफॉम उपलब्ध कराये जाने हेतु 40 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

सभी बच्चों को जूता-मोजा एवं स्वेटर उपलब्ध कराये जाने हेतु वित्तीय वर्ष 2021-2022 हेतु 300 करोड़ रुपये की व्यवस्था

प्रस्तावित है।

• कक्षा-1 से कक्षा-8 तक के छात्र/ छात्राओं को स्कूल बैग उपलब्ध कराये जाने हेतु वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में 110 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

मध्याह्न भोजन कार्यक्रम हेतु 3406 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था का प्रस्ताव है। • वर्ष 2021-2022 के बजट में समग्र शिक्षा अभियान हेतु

18,172 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

माध्यमिक शिक्षा

 

• प्रदेश में 2285 राजकीय, 4512 अशासकीय सहायता प्राप्त एवं

20,558 वित्त विहीन माध्यमिक विद्यालय अर्थात कुल 27,355 माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रदेश के प्रत्येक मण्डल में एक सैनिक स्कूल की स्थापना करायी जायेगी। इस हेतु निजी क्षेत्र की सहभागिता भी प्राप्त की जायेगी। राज्य सरकार द्वारा सैनिक स्कूलों की स्थापना के लिये भूमि उपलब्ध कराई जायेगी। सैनिक स्कूल मैनपुरी, झाँसी एवं अमेठी के अवशेष कार्यों को पूर्ण कराने तथा जनपद गोरखपुर में 01 नवीन सैनिक स्कूल का निर्माण कार्य कराने हेतु 90 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। सहायता प्राप्त अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु 200 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। सहायता प्राप्त अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों, राजकीय संस्कृत विद्यालयों में अवस्थापना सुविधा, उत्तर प्रदेश संस्कृत शिक्षा निदेशालय के गठन तथा उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद् के कार्यालय भवन के निर्माण हेतु 05 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। संस्कृत विद्यालयों अध्ययनरत् निर्धन छात्रों को गुरुकुल पद्धति के अनुसार निःशुल्क छात्रावास एवं भोजन की सुविधा प्रदान की जायेगी। कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय, सैनिक स्कूल, सरोजनीनगर को विकसित कर उसकी क्षमता को दो गुना किये जाने, बालिका कैडेट हेतु 150 की क्षमता के छात्रावास का निर्माण कराये जाने

तथा एक हजार क्षमता के निर्माणाधीन ऑडिटोरियम के निर्माण कार्यों हेतु 15 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। निर्माणाधीन राजकीय इण्टर कॉलेजों के अवशेष कार्य पूर्ण कराये जाने हेतु 100 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। राजकीय एवं सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत अतिथि विषय विशेषज्ञ के मासिक मानदेय की धनराशि हाईस्कूल स्तर पर 8000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये तथा इण्टर पर

10,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये की गयी है।

 

उच्च शिक्षा

भारत एक समय सारी दुनिया में ज्ञान व शिक्षा का केन्द्र था। उत्तर प्रदेश का भूभाग संस्कृति दर्शन के लिये प्रमुख आकर्षण था। हमारी सरकार ने उच्च शिक्षा को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा बनाने का संकल्प लिया है। • प्रदेश में उच्च शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु वर्तमान में

16 राज्य विश्वविद्यालय, 01 मुक्त विश्वविद्यालय, 01 डीम्ड विश्वविद्यालय, 27 निजी विश्वविद्यालय, 170 राजकीय महाविद्यालय, 331 सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय एवं 6531 स्ववित्त पोषित महाविद्यालय संचालित हैं। असेवित क्षेत्रों में विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों की स्थापना की जा रही है। प्रदेश के असेवित मण्डलों में प्रत्येक मण्डल में एक राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना करायी जायेगी।

जनपद सहारनपुर, आजमगढ एवं अलीगढ़ में 03 नये राज्य विश्वविद्यालयों की स्थापना हेतु भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर, प्रो० राजेन्द्र सिंह (रजजू भयया) विश्वविद्यालय, प्रयागराज तथा ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ के भवनों का निर्माण प्रगति पर है। नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अन्तर्गत उच्च शिक्षा संस्थानों को बड़े बहुविषयक विश्वविद्यालयों, कालेजों और एच0ई0आई0 क्लस्टरों /नालेज हबों में स्थानान्तरित करके उच्च शिक्षा के विखण्डन को समाप्त करना है। इस हेतु संसाधनों, सामग्री और मनुष्य की कार्यकुशलता की बढ़ोत्तरी में मदद करने पर बल दिया गया है।

 

• राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के अन्तर्गत न्यून सकल नामांकन दर वाले 26 जनपदों में मॉडल राजकीय महाविद्यालयों की स्थापना की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2021-2022 में राजकीय महाविद्यालयों के भवन निर्माण कार्य हेतु 200 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास प्रदेश में वर्तमान में 305 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित हैं जिनमें से 47 संस्थानों में महिला शाखायें उपलब्ध हैं जिनकी प्रशिक्षण क्षमता 1 लाख 72 हजार से अधिक है। पूरे प्रदेश में 12 स्वतंत्र रूप से राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान महिलाओं के लिये ही स्थापित हैं एवं सामान्य राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में महिलाओं को 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण प्राप्त है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में 2963 से अधिक निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान भी स्थापित है जिनकी प्रशिक्षण क्षमता लगभग 4 लाख 58 हजार है। प्रदेश में 84 ऐसे राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ जनजाति के अभ्यर्थियों को प्रवेश में 70 प्रतिशत का आरक्षण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को 15 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध है। प्रदेश के सभी राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति/ जनजाति के अभ्यर्थियों को निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। प्रदेश में स्थापित किये गये 16 नये राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को पी0पी0पी0 मॉडल पर प्रशिक्षण हेतु क्रियाशील किया जायेगा। प्रदेश में प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिये सुल्तानपुर में निर्माणाधीन राजकीय शिल्पकार अनुदेशक प्रशिक्षण संस्थान को पूर्ण कराकर उसे शीघ्र क्रियाशील कराया जायेगा।

 

संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य

 

नैमिषारण्य, चित्रकूट, विध्यांचल, शाकुम्बरी देवी तथा शुक्रतीर्थ का समग्र विकास कराया जा रहा है।

• अयोध्या में मा0 प्रधानमंत्री जी द्वारा राम मंदिर शिलन्यास के अवसर पर 25 स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, राम की पौड़ी पर प्रदर्शनी एवं रंगोली का आयोजन एवं श्री राम मंदिर माडल पर डाक टिकट जारी कराया गया। दिनाँक 04 फरवरी, 2021 को चौरी-चौरा काण्ड के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव जो पूरे वर्ष चलेगा के लिये 15 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

 

• श्री राम जन्म भूमि मन्दिर, अयोध्या धाम तक पहुँच मार्ग के निर्माण हेतु 300 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। लखनऊ में उत्तर प्रदेश जनजातीय संग्रहालय के निर्माण हेतु 08 करोड़ रुपये तथा शाहजहाँपुर में स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय की वीथिकाओं के लिये 04 करोड़ रुपये की व्यवस्था का प्रस्ताव

है।

• प्रदेश में ख्यातिलब्ध साहित्यकारों एवं कलाकारों जो अन्य किसी

पुरस्कार से सम्मानित नहीं हो सके हैं, को "उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान प्रदान किये जाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है। इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक वर्ष अधिकतम 05 व्यक्तियों को सम्मानित किया जायेगा तथा सम्मानित प्रत्येक

व्यक्ति को 11 लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान की जायेगी।

60 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध एवं विपन्न कलाकारों को 2000 रूपये प्रतिमाह की मासिक पेंशन दिये जाने की कल्याणकारी योजना संचालित है।

 

पर्यटन

 

उत्तर प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से भारत के प्रमुख स्थानों में आ चुका है। सांस्कृतिक पर्यटन का विकास हुआ है और अधिक पर्यटन सम्भावनायें बढ़ाना हमारे एजेण्डे में है।

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2019 में लगभग 54 करोड़ पर्यटक आये, जिनमें भारतीय पर्यटकों की संख्या 53 करोड़ 60 लाख एवं विदेशी पर्यटकों की संख्या 47 लाख है। इसमें कुम्भ मेला-2019 में आये 24 करोड़ पर्यटक/विजिटर्स / श्रद्धालु भी सम्मिलित हैं । अयोध्या, प्रयागराज, वाराणसी, नैमिषारण्य, विन्ध्याचल, चित्रकूट, मथुरा-वृन्दावन, श्रावस्ती, कुशीनगर इत्यादि अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। अयोध्या में इस वर्ष पुनः दीपोत्सव का आयोजन दिनॉक 13 नवंबर, 2020 को किया गया तथा 6.06 लाख से

अधिक दीप जलाकर गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बनाया गया।

• अयोध्या में पर्यटन सुविधाओं के विकास एवं सौन्दर्गीकरण हेतु100 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

• वाराणसी में पर्यटन सुविधाओं के विकास तथा सौन्दर्गीकरण हेतु 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री पर्यटन स्थलों का विकास योजना हेतु 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

चित्रकूट में पर्यटन विकास की विभिन्न योजनाओं हेतु 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त विन्ध्याचल एवं नैमिषारण्य में स्थल विकास हेतु 30 करोड़ रुपये की व्यवस्था

प्रस्तावित है।

 

वन एवं पर्यावरण

 

भारतीय वन सर्वेक्षण की वन स्थिति रिपोर्ट-2019 के अनुसार प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 9.19 प्रतिशत क्षेत्र वनावरण एवं वृक्षावरण से आच्छादित है। प्रदेश के वनावरण एवं वृक्षावरण में वर्ष 2017 से 2019 तक 127 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। वर्ष 2030 तक वनावरण एवं वृक्षावरण 15 प्रतिशत किये जाने का लक्ष्य है। इस हेतु विभिन्न वृक्षारोपण योजनाओं में सड़क, रेलवे, नहरों के किनारे की भूमि तथा परती भूमि उसर, बीहड़ खादर व अवनत वन भूमि, सामुदायिक भूमि तथा कृषकों की निजी भूमि पर वृहद स्तर पर वृक्षारोपरण कराने की कार्य योजना है। वर्ष 2020, वर्ष 2021 एवं वर्ष 2022 के वृक्षारोपण का लक्ष्य क्रमशः 25 करोड़, 30 करोड़ एवं 35 करोड़ निर्धारित किया गया है । पौध उगान हेतु 03 वर्ष की कार्य योजना तैयार की गई है। वर्षाकाल 2020-2021 में दिनाँक 05 जुलाई, 2020 को वृक्षारोपण महाअभियान में अन्य विभागों के सक्रिय सहयोग एवं समन्वय, कृषकों तथा स्वयंसेवी एवं जन सहयोग प्राप्त कर एक ही दिन में 25.87 करोड़ पौधों का रोपण किया गया। वृक्षारोपण महाअभियान वर्ष 2020 मे प्रदेश में दिनॉक 28 जलाई, 2020 को अनेक स्थलों पर अधिकतम प्रजातियों के पौधों का रोपण कर गिनीज बुक ऑफ वर्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज कराया गया है। प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था तथा प्रवर्तन के कारण राज्य में बाघों की संख्या वर्ष 2014 के 117 से बढ़कर वर्ष 2018 में 173 हो गई

राज्य प्रतिकारात्मक वनरोपण योजना हेतु 600 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है।

सामाजिक वानिकी कार्यक्रम को प्रोत्साहन प्रदान किये जाने हेतु 400 करोड़ रुपये की व्यवस्था का प्रस्ताव है

 

समाज कल्याण

 

सम्पूर्ण समाज की समृद्धि प्राचीन भारतीय चिन्तन का लक्ष्य रही है। हमारी सरकार ने समाज के प्रत्येक अंग के विकास का बीड़ा उठाया है।

 वृद्धावस्था/ किसान पेंशन योजनान्तर्गत 3100 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजनान्तर्गत 500 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

• अनुसूचित जाति पूर्वदशम एवं दशमोत्तर तथा सामान्य वर्ग की छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत 1430 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना हेतु 250 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले अनुसूचित जाति तथा सामान्य वर्ग के व्यक्तियों की पुत्रियों की शादी हेतु आर्थिक सहायता योजनान्तर्गत 150 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित

 

 

पिछड़ा वर्ग कल्याण

अंत्योदय की कल्पना हमारे विद्वान मनीषी पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी ने की थी। उन्हें के विचारों से प्रेरित होकर हमारी सरकार ने समाज के अन्तिम व्यक्ति के उत्थान को प्राथमिकता दी है। • पिछड़े वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्ति योजना हेतु 1375 करोड़

रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। • अन्य पिछड़े वर्ग के निर्धन व्यक्तियों की पुत्रियों की शादी

अनुदान योजना हेतु 150 करोड़ रूपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

अल्पसंख्यक कल्याण

 

• अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति योजना हेतु 829 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। अल्पसंख्यक बाहुल्य जनपदों में मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल आदि सुविधायें उपलब्ध कराये जाने हेतु संचालित मल्टी सेक्टोरल डिस्ट्रिक्स प्लान के लिये 588 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। मदरसा आधुनिकीकरण योजना के लिये 479 करोड़ रुपये की

बजट व्यवस्था का प्रस्ताव है।

दिव्यांगजन कल्याण

 

दिव्यांग पेंशन योजना के अन्तर्गत लगभग 10 लाख 87 हजार पात्र दिव्यांगजन को 500 रुपये प्रतिमाह की दर से पेंशन दिये जाने हेतु 720 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

कुष्ठ दिव्यांगजनों को पुनर्वासित करने एवं उनका जीवन बेहतर बनाने के उद्देश्य से 2500 रुपये की राशि प्रति माह प्रति लाभार्थी दी जाती है। इस हेतु 39 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। दिव्यांग दम्पत्ति के बच्चों के पालन-पोषण के लिये पालनहार योजना हेतु 25 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित

समेकित विशेष माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना कराये जाने हेतु विद्यालय भवन के अवशेष कार्यों हेतु 30 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। राजकीय मानसिक मंदित आश्रय गृह सह प्रशिक्षण केन्द्रों के

भवन निर्माण हेतु 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

व्यापारी कल्याण

उत्तर प्रदेश राज्यकर विभाग में पंजीकृत व्यापारियों के लिये संचालित मुख्यमंत्री व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत प्रति लाभार्थी देय धनराशि हमारी सरकार द्वारा 05 लाख रुपये

से बढ़ाकर 10 लाख रुपये की गयी। • हमारी सरकार द्वारा अब तक 356 लाभार्थियों को व्यापारी

दुर्घटना बीमा का लाभ दिया गया है।

 

न्याय

समाज के जन्म व विकास के समय से ही न्याय की प्यास है। न्याय के लिये ही समाज व्यवस्था तथा राज्य व्यवस्था का जन्म हुआ है। न्याय हमारे जीवन की पहली आवश्यकता है।

जनपद प्रयागराज में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना किये जाने का निर्णय लिया गया है। मा० उच्च न्यायालय इलाहाबाद परिसर में मल्टीलेवल पार्किंग एवं एडवोकेट चैम्बर्स का निर्माण ई0पी0सी0 मोड पर कराये जाने का निर्णय लिया गया है। जनपदों में न्यायालयों के भवन निर्माण हेतु 450 करोड़ रूपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तिगण के लिये आवासीय भवनों के निर्माण हेतु 100 करोड़ रूपये की व्यवस्था प्रस्तावित

माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की लखनऊ खण्डपीठ के लिये नये भवनों के निर्माण कार्य हेतु 150 करोड़ रूपये तथा इलाहाबाद पीठ के भवन निर्माण हेतु 450 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। उ0प्र0 अधिवक्ता कल्याण निधि से संबंधित कल्याणकारी स्टाम्पों की बिक्री की शुद्ध प्राप्ति की धनराशि अधिवक्ता कल्याण निधि हेतु न्यासी समिति को अन्तरण के लिये 20 करोड़ रूपये की

व्यवस्था प्रस्तावित है।

 

परिवहन

 

• प्रदेश के 38 हजार से अधिक असेवित गाँवों में से वर्ष

2017-2018 एवं 2018-2019 में 19 हजार 5 सौ असेवित गाँवों को परिवहन सुविधा से सेवित किया गया । वर्ष 2019-2020 में माह मार्च, 2020 तक 6556 गाँवों को परिवहन सुविधा से सेवित किया गया । पड़ोसी देश नेपाल हेतु दिल्ली से महेन्द्र नगर, पोखरा व नेपालगंज, अयोध्या से जनकपुर व लखनऊ-रूपैडिहानेपालगंज के लिये अन्तर्राष्ट्रीय बस सेवा का संचालन प्रारम्भ किया गया। बस स्टेशनों के आधुनिकीकरण के दृष्टिगत प्रदेश के 23 प्रमुख बस स्टेशनों को पी0पी0पी0 पद्धति पर विकास किया जाना प्रस्तावित है। निर्भया योजना के अन्तर्गत महिलाओं के लिये 50 वातानुकूलित पिंक सेवायें संचालित है जिसमें महिला यात्रियों की सुरक्षा हेतु

सभी बसों में सीसीटीवी कैमरा तथा पैनिक बटन लगाये गये हैं।

 

राजस्व

 

प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से बचाव और सुरक्षा हेतु एस0डी0आर0एफ0 की 03 कम्पनियां, पी0ए0सी0 फ्लड बटालियन की 17 कम्पनियाँ खोज एवं बचाव कार्य हेतु तैयार हैं। एन0डी0आ0एफ0 की 04 टीमें वाराणसी. लखनऊ. गोरखपुर व प्रयागराज में उपलब्ध हैं। प्रदेश के 02 जनपदों गोरखपुर एवं बलिया में 200-200 आपदा मित्र उपलब्ध हैं। आपदा पूर्व चेतावनी तथा राहत संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियों को किसानों तक सरलता से पहुँचाने के संबंध में ऐप्लीकेशन-इंटीग्रेटेड अर्ली वार्निंग सिस्टम तैयार किया गया है जिसके माध्यम से मौसम विभाग द्वारा सैटेलाइट की मदद से जारी की जाने वाली खराब मौसम एवं वजपात से पूर्व

चेतावनियों को आम जन-मानस को आटोमैटिक एस०एम०एस० अलर्ट एवं मेसेज के माध्यम से प्रेषित किया जाता है जो बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के रियल टाइम में लोगों तक पहुँचते हैं। इस अर्ली वार्निंग सिस्टम से किसानों तथा आम जन-मानस को आने वाले खराब मौसम से बचाव करने में मदद मिलेगी तथा साथ ही ये प्रदेश जन हानि एवं अन्य नुकसानों को कम करने में मददगार साबित होगा। वर्ष 2020 में प्रथम बार बाढ़ से प्रभावित कृषकों तथा क्षति संबंधी विवरण ऑनलाइन करते हुये एक वेब बेस्ड सर्वेक्षण तथा वितरण मॉडयूल तैयार कर लागू किया गया जिसके सीधे कृषकों के बैंक खातों में निवेश अनुदान राशि अंतरित करने की व्यवस्था की गई। वर्ष 2020 में बाढ़ से प्रभावित जनपदों के लगभग 3 लाख 48 हजार कृषकों को 113 करोड़ 20 लाख 66 हजार रुपये की कृषि निवेश अनुदान राशि डी0बी0टी0 के माध्यम से

सीधे कृषकों के बैंक खातों में स्थानान्तरित की गयी।

 

राजकोषीय सेवाओं का विवरण

 

राजकोषीय सेवायें राज्य वस्तु एवं सेवा कर तथा मूल्य संवर्द्धित कर

 

राज्य वस्तु एवं सेवा कर तथा मूल्य संवर्धित कर से राजस्व संग्रह का लक्ष्य 01 लाख 04 हजार 385 करोड़ रुपये (1,04,385 करोड़ रुपये) निर्धारित किया गया है।

 

आबकारी शुल्क

 

आवाकारी शल्क से राजस्व संग्रह का लक्ष्य 41 हजार 500 करोड़ रुपये (41,500 करोड़ रुपये) निर्धारित किया गया है।

 

स्टाम्प एवं पंजीकरण

स्टाम्प एवं पंजीकरण से राजस्व संग्रह का लक्ष्य 25 हजार 500 करोड़ रुपये (25,500 करोड़ रुपये) निर्धारित किया गया है।

 

वाहन कर

वाहन कर से राजस्व संग्रह का लक्ष्य 09 हजार 350 करोड़ रुपये (9,350 करोड़ रुपये) निर्धारित किया गया है।

 

वित्तीय वर्ष के बजट अनुमान 2021-2022 ,प्रस्तुत बजट का आकार 05 लाख 50 हजार 270 करोड़ 78 लाख रुपये (5,50,270.78 करोड़ रूपये) है। बजट में 27 हजार 598 करोड़ 40 लाख रुपये (27,598.40

करोड़ रूपये की नई योजनाएं सम्मिलित की गई हैं।

 

प्राप्तियाँ

 

कुल प्राप्तियाँ 05 लाख 06 हजार 181 करोड़ 84 लाख रुपये (5,06,181.84 करोड़ रुपये) अनुमानित हैं। कुल प्राप्तियों में 04 लाख 18 हजार 340 करोड़ 44 लाख रुपये (4,18,340.44 करोड़ रुपये) की राजस्व प्राप्तियाँ तथा 87 हजार 841 करोड़ 40 लाख रुपये (87,841.40 करोड़ रुपये) की पूँजीगत प्राप्तियाँ सम्मिलित हैं। राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व का अंश 03 लाख 05 हजार 740 करोड़ 30 लाख रुपये (3,05,740.30 करोड़ रुपये) हैं। इसमें स्वयं का कर राजस्व 01 लाख 86 हजार 345 करोड़ रुपये (1,86,345 करोड़ रुपये) तथा केन्द्रीय करों में राज्य का अंश 01 लाख 19 हजार 395 करोड़ 30 लाख रुपये (1,19,395.30 करोड़ रुपये) सम्मिलित है ।

 

व्यय

 

कुल व्यय 05 लाख 50 हजार 270 करोड़ 78 लाख रुपये (5,50,270.78 करोड़ रुपये) अनुमानित है । कुल व्यय में 03 लाख 95 हजार 130 करोड़ 35 लाख रुपये (3,95,130.35 करोड़ रुपये) राजस्व लेखे का व्यय है तथा 01 लाख 55 हजार 140 करोड़ 43 लाख रुपये (1,55,140.43

करोड़ रुपये) पूँजी लेखे का व्यय है ।

 

समेकित निधि

 

समेकित निधि की प्राप्तियों से कुल व्यय घटाने के पश्चात् 44 हजार 88 करोड़ 94 लाख रुपये (44,088.94 करोड़ रुपये) का घाटा अनुमानित है ।

 

 

 

 


 

 

 

 

 

 

 

 

 


 



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